अम्बेडकरनगर। पेट्रोल का शतक लग चुका है। कुछ ऑयल कम्पनियों के प्रति लीटर दाम में अभी चंद पैसे की कमी है लेकिन वे भी शतक बनाने के करीब हैं। बेतहाशा बढ़े पेट्रोल के दाम से न्यून और मध्यम आय वर्ग के लोगों का बजट बिगड़ गया है।
खासकर उनकी जो नौकरी पेशा हैं। प्राइवेट कंपनी में या संविदा पर सरकारी विभाग में नौकरी करते हैं। कामकाजी हैं। व्यवसाई है। जिन्हें प्रतिदिन आफिस, दुकान, प्रतिष्ठान या साइट पर घर से आना जाना पड़ता है। इनके मानदेय या वेतन अथवा कमीशन तो यथावत हैं मगर जाने जाने का खर्च बढ़ गया है। निजी साधन से जाने पर पेट्रोल का खर्च, सरकारी साधन से जाने पर जाम का झंझट, टैक्सी से जाने पर बेहियाब किराया देने की मजबूरी है। ऊपर से पेट्रोल टंकी पर घटतौली और मिलावट से भी चपत लगती है। हिन्दुस्तान से व्हाट्सएप संवाद में कुछ ऐसे कामकाजी लोगों ने पेट्रोल के दाम कम करने की मांग की है। कहा है कि ऐसा करना सम्भव न होने पर राहत के उपाय मसलन हर मार्ग का सही किराया निर्धारित करने, मिलावट व घटतौली रोकने, ई-वाहन के दाम कम करने की मांग की है।पेट्रोल के दाम कम करे सरकार
जिला अस्पताल के एमसीएच विंग में तैनात सरोज ने कहा कि घर से आने जाने में अब दो गुना अधिक खर्च करना पड़ रहा है। जबकि आय यथावत है। इससे बजट गड़बड़ हो गया है। सरकार को आम लोगों के इस विकट समस्या से निजात के उपाय करने चाहिए। पेट्रोल के दाम करने चाहिए। निश्चित मानदेय व वेतन पर काम करने वालों को राहत देना चाहिए।
किराया नियंत्रित करे शासन प्रशासन
जिले में टैक्सी ही नहीं सरकारी वाहनों के किराए में भारी अंतर है। बेवाना समिति के अध्यक्ष वेदमणि त्रिपाठी नारद कहते हैं कि अकबरपुर से दोस्तपुर का किराया अलग अलग है। अलग अलग तरह के वाहनों का किराया 25 से लेकर 40 रुपए तक है। सरकार को हर रूट का किराया नियंत्रित करके बढ़े डीजल पेट्रोल के दाम से खड़ी हुई समस्या से निजात दिलाना चाहिए।
ई-वाहन का दाम कर राहत दे सकती है सरकार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में नौकरी करने वाले रणधीर यादव कहते हैं कि पेट्रोल के दाम ने बजट गड़बड़ कर दिया है। सरकार अगर पेट्रोल के दाम कर पाने में लाचार है तो ई-परिवहन को बढ़ावा दे सकती है। इससे बाइक के बजाय ई-बाइक से लोग कार्यस्थल पर आ जा सकेंगे। ई-बाइक काफी महंगे हैं। सरकार को ई-बाइक का ही दाम करा देना चाहिए।
घटतौली व मिलावट को रोकें
किराना के कारोबारी कफील अख्तर कहते हैं कि एक तो बेहिसाब दाम हैं। इससे बाइक से कहीं आने जाने का खर्च रुला रहा है। जाम से और पेट्रोल खर्च और होता है। ऊपर से पेट्रोल पंप पर घटतौली व मिलावट से बाइक का प्रति किमी का औसत और कम हो जा रहा है। पेट्रोल के दाम भले ही सरकार कम न कर सके मगर जाम से, घटतौली व मिलावट से तो निजात दिला ही सकती है।