सिर दर्द को हल्के में ना लें क्योंकि सिरदर्द किसी गंभीर रोग का संकेत भी हो सकता है: डॉ कृष्णा शंकर सिंह

बलिया ब्रेकिंग….

सिर दर्द को हल्के में ना लें क्योंकि सिरदर्द किसी गंभीर रोग का संकेत भी हो सकता है: डॉ कृष्णा शंकर सिंह

रिपोर्ट:- विवेक कुमार पटेल के रिपोर्ट

स्थान :-बलिया उत्तर प्रदेश

मोबाइल नंबर.8355002336

बलिया सिरदर्द एक आम समस्या है जिसे हम काफी हलके में लेते हैं। अधिकतर लोग पहले इसका इलाज अपनी मर्जी से बिना डॉक्टरी परामर्श के करते रहते हैं और न जाने कितने समय तक इसे सहते रहते हैं। ये दवाईयां दर्द तो समाप्त कर देती हैं, परंतु सिरदर्द के कारणों को नहीं समाप्त करती, इसलिए सिरदर्द के कारण को जानकर उस कारण को समाप्त करना बहुत जरूरी है।जब बात आपे से बाहर हो जाती है तब हम जाकर किसी चिकित्सक को दिखाते हैं। सिर दर्द के कई कारण होते हैं, हालांकि ज्यादातर सिरदर्द किसी गंभीर बीमारी की वजह से नहीं होते। कभी-कभी सिरदर्द किसी गंभीर रोग का संकेत भी हो सकता है एवं किसी गम्भीर बीमारी का प्रथम लक्षण हो सकता है जिसे समय पर उपचार लेकर ठीक किया जा सकता है।

सिरदर्द के प्रकार

प्राथमिक सिरदर्द में उस दर्द को शामिल किया जाता है। जब मस्तिष्क में किसी तरह की ढांचागत गड़बड़ी नहीं होती। माइग्रेन, टैशन हेडेक और क्लस्टर हेडेक इसी श्रेणी में आते हैं। द्वितीय श्रेणी वाला दर्द वह है, जिसमें किसी कारण मसलन ब्रेन ट्यूमर के कारण सिर में दर्द होता है। साइनस के कारण होने वाला दर्द भी सेकेंडरी दर्द में शामिल किया जाता है। अधिकतर सिरदर्द प्राथमिक श्रेणी के होते हैं।

सिरदर्द के सामान्य कारण

माइग्रेन, क्लस्टर हेडेक, अधिक देर तक सोते रहने या कम समय सोने से, नींद पूरी न होने के कारण भी सिरदर्द हो सकता है। कभी-कभी नींद के बीच-बीच में टूटने के कारण भी सिरदर्द होता है। कभी-कभी गर्मी में अधिक व्यायाम कर लेने से भी सिरदर्द शुरू हो जाता है, क्योंकि व्यायाम करते वक्त ग्लूकोज की मात्रा मांसपेशियों दवारा खर्च कर ली जाती है और मस्तिष्क को ग्लूकोज नहीं मिल पाता। दाँतों में दर्द के कारण भी सिरदर्द की शिकायत रहती है। तनाव का पहला लक्षण भी सिरदर्द हो सकता है। इसके अतिरिक्त निराशा, नींद न आना, थका हुआ महसूस करना आदि भी तनाव के कारण होते हैं।आंखों के चश्मे के नंबर में बदलाव के कारण भी सिरदर्द होता है। जिन लोगों को आँखों का चश्मा न लगा हो और उन्हें सिरदर्द की शिकायत लगातार हो रही हो उन्हें नेत्र विशेषज्ञ के पास जाकर आँखों को दिखाना चाहिए व नजर कमजोर होने पर चश्मा लगाना चाहिए। कभी-कभी कुछ दवाईयां भी सिरदर्द का कारण होती हैं जैसे हृदय रोगों में ली जाने वाली दवाईया, अधिक जुकाम, मौसम में बदलाव, अधिक धूमपान आदि के कारण भी सिरदर्द की शिकायत रहती है। कई बार आप दिन में कुछ नहीं खाते या व्रत रखते हैं तब भी सिरदर्द की शिकायत हो जाती है। किसी पदार्थ से एलर्जी होने पर भी परेशानी हो सकती है। अगर आप चाय कॉफी अधिक मात्रा में पीते हैं और फिर एकदम उसे छोड़ देते हैं तो भी सिरदर्द हो जाता है। आज के कम्प्यूटर युग में जहां बच्चे से लेकर वृद्ध तक कई घंटों तक कम्प्यूटर के सामने बैठे रहते हैं, सिरदर्द एक आम बात है। अधिक देर तक टीवी देखने से भी सिरदर्द हो
सकता है।सिरदर्द भिन्न भिन्न प्रकार का हो सकता है जैसे माइग्रेन: माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है जो कुछ विशेष प्रकार के लक्षणों के साथ रोगी को होता है। माइग्रेन सबसे सामान्य सिरदर्द माना जाता है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसकी उपस्थिति अधिक होती है। महिलाओं में दर्द की तीव्रता भी अधिक होती है।लक्षणः सिर के आधे हिस्से में बहुत तेज सिरदर्द उठना। काम करने के दौरान सिरदर्द का बढ़ जाना। बहुत अधिक घबराहट होना। सिरदर्द के साथ उल्टियां होना। सिरदर्द होने की अवस्था में रोशनी या शोर के प्रति संवेदनशीलता। अलग-अलग लोगों में माइग्रेन के अलग-अलग ट्रिगर्स हो सकते हैं। अगर इनको पहचानकर इनसे बचाव किया जाए तो माइग्रेन का उपचार अधिक आसान हो सकता है।

ये हो सकते हैं माइग्रेन के ट्रिग्स

माइग्रेन के कई प्रकार के ट्रिगर्स हैं जो अलग अलग लोगों में अलग अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य ट्रिगर्स हैं।
किसी विशेष प्रकार की एलर्जी। तेज लाइट, शोर या परफ्यूम की तेज गंध से सिरदर्द उठना। बहुत अधिक तनाव। धूम्रपान से सिरदर्द। देर तक भूखे रहने से सिरदर्द। शराब का सेवन। रेड वाइन या एमएसजी(मोनोसोडियम ग्लूमेट) के सेवन से सिरदर्द। नट्स चॉकलेट आदि खाने से सिरदर्द। इसके लिए दो प्रकार से इलाज सामानांतर किया जाता है। पहला तो इसके ट्रिगर्स को पहचानकर उनसे बचाव के लिए और दूसरा माइग्रेन के दर्द में आराम के लिए। माइग्रेन का उपचार दर्द की तीव्रता पर भी निर्भर करता है। अधिक गंभीर स्थिति होने पर या जब माह में दो बार से अधिक दर्द का दौरा होता है, तब दर्द का उपचार करने के लिए हर रोज दवा लेनी होती है। इसके लिए खास माइग्रेन की दवाएं दी जाती हैं। माइग्रेन के शुरुआती लक्षण का आभास होने पर तुरंत एक अंधेरे कमरे में जाकर सोने का प्रयास करें। सिर और गर्दन पर ठंडा या गर्म सेक दें। और या तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें या उनके परामर्श के अनुसार दवा का सेवन करें।

तनाव से सिर दर्द

तनाव से होने वाला सिरदर्द सामान्यतयः मांसपेशियों में खिंचाव के कारण होता है। ये सिरदर्द लंबे समय तक तनाव के रहने के कारण होता है। तनाव से पैदा हुआ सिरदर्द अक्सर धीमा और स्थिर होता है। ऐसे मरीज सिर में भारीपन होना जैसी तकलीफ व्यक्त करते हैं।क्लस्टर हेडेक इस प्रकार के सिरदर्द में चेहरे के एक हिस्से में तेज दर्द होता है। इसके साथ आंखों के लाल होने, आंखों से पानी बहने और नाक बहने जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती है।साइनस की तकलीफ से सिरदर्द ऐसा सिरदर्द तब होता है जब आपके साइनस में संक्रमण हो जाता है। ऐसा सिरदर्द तेज और कई बार लगातार होता रहता है। यह अधिकतर सुबह शुरू होता है।साइनस के कारण सिरदर्द में आंखों में, गाल में और सिर के अगले हिस्से में दबाव और दर्द होता और साथ ही इसमें नीचे झुकने पर दर्द बहुत तेज होता है। इसमें ऊपरी दांत में दर्द, बुखार, ठंड लगना, चेहरे पर सूजन आदि की समस्या भी आ जाती है।यदि मरीज की उम्र 50 वर्ष से ज्यादा हो। सिरदर्द की शुरुआत अचानक हुई हो। दर्द की तीव्रता या अव्रता बढ़ गयी हो। दर्द के साथ मरीज को बुखार, गर्दन में दर्द या शरीर पर चकते हों।
कैंसर या एच आई वी से पीडित हैं, सिरदर्द के साथ शरीर को कोई हिस्सा सुन्न पड़ गया हो या कमजोर हो गया हो। आपको देखने में कोई तकलीफ हो रही हो। सिरदर्द की शुरुआत सर में चोट लगने के बाद हुई हो।सिरदर्द से बचने के लिए क्या एहतियात बरतें तनाव कम करें, तनावरहित जीवन जीने के लिए योग और ध्यान करें। तनाव, चिंता एवं क्रोध जैसी भावनाओं को दबाने से भी सिरदर्द हो सकता है। ऐसी परेशानी होने पर हमें शान्ति से अपने परिचित एवं विश्वस्त लोगों के साथ बाँटना चाहिए।संतुलित आहार लेना चाहिए। ज्यादा समय तक भूखा नहीं रहना चाहिए। पानी की कमी भी सिरदर्द की एक वजह हो सकती है। इसलिए दिन भर में कम से कम 7 से 8 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए।रोजाना एक समय पर सोने और उठने की आदत डालें। कम से कम 6 घंटे की अच्छी नींद अवश्य लेनी चाहिए। लम्बे समय तक नियमित कार्य करने की जगह बीच-बीच में थोड़ा समय निकालकर खुली स्वच्छ जगह पर टहलने से तनाव कम रहता है।नियमित सिरदर्द होने पर अपनी आंखों की जांच किसी विशेषज्ञ दवारा अवश्य कराएं। अगर आपको चश्मे का नंबर है तो साल में एक बार नेत्र रोग विशेषज्ञ को अवश्य दिखाना चाहिए। एसिडिटी की शिकायत रहती है तो तला हुआ,मसालेदार और जंक फूड आहार का त्याग करें। ज्यादा लम्बे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल पर काम न करें या गेम्स न खेलें।हमेशा सकारात्मक सोच रखें और सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों के साथ रहे। किसी भी तरह का नशा न करें, शराब, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा आदि नशों से दूर रहे।लम्बे समय तक दर्द निरोधक दवाइयों का सेवन बिना किसी डॉक्टरी परामर्श के कभी न करें। ये दवाइयां आपके शरीर को बहुत नुकसान पहुंचा सकती हैं। माइग्रेन और क्लस्टर हेडेक की स्थिति में सिरदर्द का नियमित रिकॉर्ड रखें।आप क्या खाते हैं, कितना सोते हैं और दर्द का दौरा पड़ने की स्थिति में क्या कर रहे थे, बातों का रिकॉर्ड बनाएं। दर्द के कारणों की पहचान होने पर, जहां तक संभव हो, उनसे दूर रहने की कोशिश करें। इससे दवाओं पर निर्भरता भी कम होगी।मांसपेशियों के तनाव को कम करने के लिए कंधे, गर्दन और कनपटी के हिस्से में मसाज करना अच्छा रहता है।

सप्ताह में चार से पांच बार अवश्य व्यायाम करें।

योग और ध्यान करने से मांसपेशियों में राहत मिलती है। संतुलित आहार लें, नियमित भोजन करें। उठने, बैठने और
चलने की सही मुद्रा का पालन करें। खासतौर पर यदि आप डेस्क वर्क अधिक करते हैं तो अपनी सही मुद्रा का ध्यान अवश्य रखें अपनी रूचियों व आदतों के लिए समय निकालें। सप्ताह या दैनिक शेड्यूल में ऐसी गतिविधियों को शुमार करें, जिन्हें करना आपको सुकून देता है।अपने डॉक्टर के द्वारा दी गयी दवाओं का सेवन नियमित रूप से करें और उनके द्वारा दी गए निर्देशों हिदायतों का पालन करें। अगर आपको बार-बार सिरदर्द होता है तो घर पर अपने मन से कोई दर्दनाशक दवा लेने से बेहतर है की आप डॉक्टर से परामर्श लेकर अपनी जांच करवाएं। यह हमेशा ध्यान रखें की सिरदर्द सिर्फ लक्षण है कोई रोग नहीं।

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