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मौसम में बदलाव:रूम में हीटर व ब्लोअर का न करें प्रयोग-डा. यादव
✍️ प्रशांत त्रिवेदी, ke sath Siddharth Gupta
कन्नौज। इन दिनों मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। सुबह-शाम जहां ठंड का अहसास हो रहा है, वहीं अभी भी दिन में गर्माहट कायम है। मौसम की अदला बदली बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डाल रही है। ठंड बच्चों को चपेट में ले रही है। इस समय बरती गई थोड़ी सी जागरूकता बच्चों को ठंड से बचा सकती है। इन दिनों अस्पतालों में विशेषकर बुजुर्ग और बच्चों में मौसमी बीमारियों का प्रकोप ज्यादा दिख रहा है। बुजुर्गों में सर्दी, खांसी और बुखार तो अधिकतर बच्चों में निमोनिया के लक्षण दिख रहे हैं। शिशु बाल रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल में तैनात डॉ. अनिरुद्ध प्रताप सिंह ने बताया कि मौसम में बदलाव के साथ सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी के लक्षण बच्चों में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जब भी मौसम में बदलाव होता है तो कुछ वायरस एक्टिवेट हो जाते हैं और इन वायरस के कारण से बच्चों में ब्रूम कोलाइटिस और ब्रोंकोनिमोनिया यानी सांस की दिक्कत ज्यादा होने लग जाती है। इस बीमारी में शुरू में तो खांसी जुकाम होता है लेकिन बाद में सांस में दिक्कत हो जाती है।
ठंड लगने के लक्षण व बचाव
सर्दी, जुकाम, खांसी होना, गले का दुखना या खराश होना, हल्का बुखार होना, ऐसे करें ठंड से बचाव- सुबह-शाम घर के अंदर रहें। सर्दी से बचने के गरम ऊनी कपड़े पहनें। नजला-जुकाम वाले मरीजों से बच्चों को दूर रखें। गुनगुना तरल पदार्थ पिलाएं। बाहर की खाने पीने की चीजों का सेवन न करें। दो साल तक के बच्चों को मां का दूध ज्यादा पिलाएं। डायरिया होने पर ओआरएस का घोल पिलाएं। एक साल तक के बच्चों को रोटा वायरस के टीके लगवाएं। खाने पीने की चीजों में साफ-सफाई का ध्यान रखें। डॉ. अनिरुद्ध प्रताप सिंह ने बताया कि मौसम बदलाव के साथ बच्चों में सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी व निमोनिया का प्रकोप बढ़ रहा है। इससे बचाव के लिए घर में पंखा रात के समय बंद ही रखें तो बेहतर होगा। सुबह और शाम को सूरज ढलने के बाद बदन को ढककर रखें। बच्चों के कमरे में हीटर, ब्लोअर न चलाए। इससे कमरा गर्म तो हो जाएगा, लेकिन हवा में जो नमी होती है, वह खत्म होने से सूखापन आता है। इससे बच्चों की सांस की नली में सूजन आती है और निमोनिया और सांस लेने में परेशानी होती है। कोशिश करें की गरम कपड़ों से ही ठंड से बच्चों का बचाव करें।