मानव संस्कृति में डॉक्टर्स को भगवान के रूप मे जाना जाता है : हृदयेश कुमार सिह

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

फरीदाबाद : डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जीवनी पर विशेष प्रकाश डाला अंतराष्टिय सामाजिक ट्रस्ट (अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट ) के राष्टिय अध्यक्ष डॉ. एम पी सिंह ने विस्तार से प्रकाश डालते हुये बताया विश्व विश्व चिकित्सक दिवस हर वर्ष इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है ।
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के कार्यालय बल्लभगढ़ मे राष्टिय अध्यक्ष डॉ. एम पी सिंह ने डॉ. बिधान चंद्र रॉय की को पुष्प अर्पित कर श्रंदांजली दी 1 जुलाई को मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर्स डे ।
दुनिया भर के डॉक्टर्स के महत्व को किया जाता है सम्मानित । भगवान का रूप हैं डॉक्टर्स ।
भारतीय संस्कृति में डॉक्टर को माना जाता है भगवान : हृदयेश कुमार सिह।
मनुष्य के जीवन में एक डॉक्टर की भूमिका को बताने की आवश्यकता नहीं है। हमारी संस्कृति में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है और भगवान के महत्व को दर्शाने के लिए हर साल 1 जुलाई को विश्व चिकित्सक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह खास दिन भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) द्वारा मनाया जाता है ।
इस दिन प्रख्यात चिकित्सक और बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि भी है। यह दिन स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले कर्मचारियों के अथक प्रयास और मेहनत को मनाने के लिए चिह्नित किया जाता है जो जीवन बचाने के लिए दिन- रात काम करते हैं। दुनिया ने डॉक्टरों को अपने कर्तव्यों से समझौता किए बिना कोविड 19 के प्रकोप के दौरान महामारी का सामना करते हुए सबसे आगे खड़े होकर नेतृत्व किया।
थीम विश्व चिकित्सक दिवस 2022 हर वर्ष इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। इस वर्ष नेशनल डॉक्टर्स डे का थीम है
नेशनल डॉक्टर्स डे पहली बार साल 1991 में बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ बीसी रॉय के काम का सम्मान करने के उद्देश्य से मनाया गया था। वे एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे जिन्होंने समाज की सेवा के लिए अथक परिश्रम किया था।
4 फरवरी, 1961 को उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। उन्हें जादवपुर टीबी अस्पताल, विक्टोरिया इंस्टीट्यूशन (कॉलेज), और चितरंजन कैंसर अस्पताल सहित अन्य जैसे चिकित्सा संस्थानों की स्थापना के लिए जाना जाता है।
नेशनल डॉक्टर्स डे समाज में डॉक्टरों की भूमिका को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। डॉक्टर यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास करते हैं कि मरीज अच्छे स्वास्थ्य में रहें। यह दिन स्वास्थ्य कर्मियों को उनके समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए शुक्रिया अदा करने का एक शानदार तरीका है। राष्टिय अध्यक्ष डॉ. एम पी सिंह ने बताया
बिधान चंद्र रॉय जी स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाशास्त्री, और राजनेता होने के साथ साथ एक प्रसिद्ध चिकित्सक भी थे। और देश की स्वतंत्रता के बाद उन्होंने सन 1948 से लेकर सन 1962 तक पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री पद को संभाला !
उनके द्वारा की गयी देश की सेवा को देखते हुए सन 1961 में भारत सरकार ने देशसर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से डॉ. बिधान चंद्र रॉय जी को सम्मनित किया।
देश और समाज के लिए की गई उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1961 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मनित किया. देश उनका जन्म दिन चिकित्सक दिवस के रूप में मनाता हैं जो 1 जुलाई को पढ़ता हैं।
बिधान चंद्र रॉय का जन्म बिहार के पटना जिले में 1 जुलाई 1882 को हुआ। और पिता जी का नाम प्रकाश चन्द्र रॉय और माता जी का नाम अघोरकामिनी देवी था l
1897 में पटना के कोलीजिएट स्कूल से मैट्रिकुलेशन की परीक्षा को पास किया और उसके बाद कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अपना इंटरमीडिएट किया. उसके बाद विधान चंद्र राय पटना कॉलेज से गणित विषय में ऑनर्स के साथ बी.ए. की शिक्षा ली।
पढाई के दौरान जब कालेज में थे उस समय अंग्रेजी सरकार द्वारा बंगाल के विभाजन का फैसला लिया गया। इस बटवारे के फैसले का विरोध चारो तरफ हो रहा था. और इस विरोध का संचालन लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, प्रजित सेनगुप्ता और बिपिन चन्द्र पाल जैसे राष्ट्रवादी नेताओं द्वारा किया जा रहा था l
विभाजन के इस आन्दोलन में शामिल हो कर विभाजन के खिलाफ़ विरोध करना चाहते थे। लेकिन उन्होंने इस आन्दोलन से अपने ध्यान हटाते हुए पढ़ाई की ओर ध्यान को केन्द्रित किया ताकि कुछ बन कर देश सेवा और भी बेहतर ढंग से कर सकू।
सन 1909 में सेंट बर्थोलोमिउ हॉस्पिटल से एम.आर.सी.पी. और एफ.आर.सी.एस. करने के लिए इंग्लैंड चले गए मात्र 1200 रुपये के साथ. लेकिन कॉलेज में दाखिले के लिए लगायी अर्जी बार बार ख़ारिज कर दी जाती आखिरकार 30 अर्जियों के बाद उनको दाखिला मिल ही गया। और अपनी कड़ी मेहनत से 2 साल और तीन महीनो में अपनी पढाई को पूरा करके सन 1911 में भारत लौट आये. देश वापसी के बाद कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, कैम्पबेल मेडिकल स्कूल और कारमाइकल मेडिकल कॉलेज में शिक्षण कार्य किया। उन्होंने देश को स्वस्थ बनाने के उदेश्य से कई अस्पताल की स्थापना की जिसमे से जादवपुर टी.बी. अस्पताल, चित्तरंजन सेवा सदन, कमला नेहरु अस्पताल, विक्टोरिया संस्थान चित्तरंजन कैंसर अस्पताल तथा सन 1926 चित्तरंजन सेवा सदन की स्थापना भी स्थापना की l उनकी टीम के अथक प्रयासों से सभी समुदायों की महिलाओं का आना शुरू हो गया जिसके कारण उन्होंने महिलाओं के लिए नर्सिंग होम और समाज सेवा के लिए महिला प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापना की। डॉ. बिधान चन्द्र रॉय को सन 1942 में कलकत्ता विश्विद्यालय के उपकुलपति बने और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कोलकाता में शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था बनाये रखने के लिए जी जान से मेहनत की जिसके फलस्वरूप उन्हें “डॉक्टर ऑफ़ सांइस” की उपाधि दी गयी।
सन 1933 में निगम के मेयर चुने गए। कोलकाता नगर निगम के मेयर बनाने के साथ ही उन्होंने कई महत्पूर्ण कार्य किये मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, बेहतर सडकें, बेहतर रौशनी और बेहतर पानी वितरण आदि और क्षेत्र का विकास किया।
भारत सरकार ने देश के लिए किये गए उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से 4 फरवरी 1961 को सम्मानित किया l

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

चिकित्सक दिवस पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मेडिकल ऑफिसर डा. आशीष अनेजा को समाजसेवी संस्थाओं से मिली बधाइयां

Sat Jul 2 , 2022
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।दूरभाष – 9416191877 चिकित्सक दिवस पर संतसमाज ने दिया डा. आशीष अनेजा को आशीर्वाद। कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के मेडिकल ऑफिसर गैपियो सदस्य, आर एस एस डीआई मेंबर डा. आशीष अनेजा ने आज चिकित्सक दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य को लेकर मरीजों को […]

You May Like

advertisement