डॉ. अम्बेडकर ने समानता के आधार पर न्याय देने का कार्य किया : मूलचंद शर्मा

डॉ. अम्बेडकर ने समानता के आधार पर न्याय देने का कार्य किया : मूलचंद शर्मा।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुवि के डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र एवं आईसीएसएसआर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ।

कुरुक्षेत्र, 21 सितम्बर : हरियाणा के उच्च शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने पंक्ति में खडे़ अंतिम व्यक्ति के विकास के लिए अहम कार्य किया। देश की आजादी के बाद जब संविधान की रचना हुई तो डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने हर समाज को देखा। उन्होंने हर क्षेत्र को कानून की मर्यादा के विषय पर प्रकाश डाला। सामाजिक रिश्ते क्या है, जातिवाद, क्षेत्रवाद, सामाजिकवाद हर क्षेत्र के लिए संविधान का निर्माण हुआ और सभी को समानता के आधार पर न्याय देने का कार्य डॉ. अम्बेडकर ने किया। वे गुरुवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र तथा इंडियन कौंसिल ऑफ सोशल सांईस रिसर्च के सहयोग से ‘21वीं सदी का आत्मनिर्भर भारत डॉ. अम्बेडकर की दृष्टि में’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इससे पहले कुलगीत तथा दीप प्रज्ज्वलित कर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया तथा प्रो. गोपाल प्रसाद एवं डॉ. प्रीतम सिंह द्वारा सम्पादित पुस्तक का लोकार्पण भी मुख्यातिथि द्वारा किया गया।
उच्च शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि जिस घर में शिक्षा है वहां प्रकाश है तथा बिना शिक्षा के धन भी व्यर्थ है। नौकरी केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है हर क्षेत्र में शिक्षा का अपना महत्व है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर बहुत सराहनीय कार्य किया है। कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता इसलिए सबको जीतना है तो मनोबल को बड़ा करना होगा। उन्होंने कहा कि युवा रोजगार देने वाले बने, रोजगार मांगने वाले नहीं। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर की नीति को आगे बढ़ाकर धरातल पर कार्य करने की जरूरत है। यदि हम लोग अपने लड़कों के साथ अपनी लड़कियों को भी शिक्षित करें तो हमारे समाज की उन्नति और तेज़ होगी। उन्होंने हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में युवाओं को मैरिट एवं योग्यता के आधार पर नियुक्तियां देने की बात भी कही।
संगोष्ठी की की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि केयू ने प्रदेश एवं देश में एनईपी 2020 को सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के यूजी एवं संबंधित लगभग 300 कॉलेजों के यूजी प्रोग्राम्स में इसे सभी प्रावधानों के साथ उच्च शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार के मार्गदर्शन में लागू किया है। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने स्वतंत्र एवं स्वावलम्बी आत्मनिर्भर भारत की नींव रखने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर के अनुसार भाग्य को बदलने का एकमात्र सहारा शिक्षा है तथा महिलाओं की प्रगति एवं उन्नति में ही समाज की उन्नति निहित है। कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ ने रामू व्यक्ति का उदारण देकर शिक्षा की महत्ता के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता भारत की आत्मनिर्भरता के लिए जरूरी है तथा बिना सामाजिक न्याय के आत्मनिर्भरता के विषय में नहीं सोचा जा सकता। वर्तमान में देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है जिसका समाधान स्वरोजगार, उद्यमिता तथा कौशल को बढ़ावा देकर किया जा सकता है। भारत विश्व में इको सिस्टम में 90 हजार स्टार्टअप तथा 108 यूनिकॉर्न के साथ तीसरे स्थान पर है।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि एम.एल.ए. एवं चेयरमैन हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन नयनपाल रावत ने कहा कि जो विद्यार्थी अपने कॉलेज, यूनिवर्सिटी, स्कूल को मंदिर मानेगा और शिक्षक, गुरु को भगवान मानेगा वो विद्यार्थी पीछे मुड़कर नहीं देखेगा वो निरंतर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण देकर डॉ. अम्बेडकर के विचारों को स्वीकार किया है।
विशिष्ट अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने आयोजकों को संगोष्ठी की बधाई दी और कहा कि भारत युवाओं का देश है। 140 करोड़ की जनसंख्या में 37 करोड़ युवा 29 से 38 वर्ष की आयु हैं। युवाओं को आत्मनिर्भर भारत बनाना सरकार का लक्ष्य है। डॉ. अम्बेडकर का योगदान महिलाओं की शिक्षा व अधिकारों के प्रति अधिक रहा है। उनका मानना था कि यदि परिवार की एक महिला शिक्षित होगी तो पूरा समाज व परिवार शिक्षित होगा।
संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता प्रो. सुरजीत कुमार दत्ता, यूनिवर्सिटी ऑफ चिटगांग, बांग्लादेश ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारत को आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक है। उन्होंने पीपीटी के माध्यम से बताया कि 21वीं सदी में भारत के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा आत्मनिर्भरता के दूरदर्शी सिद्धांतों में आर्थिक आत्मनिर्भरता में कृषि एवं ग्रामीण विकास, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, शिक्षा, कौशल एवं विकास, शैक्षिक, सामाजिक, न्यायिक एवं आर्थिक अवसरों तक सभी की पहुंच, राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, सार्वभौमिक शिक्षा, नवाचार, तकनीकी शिक्षा एवं अनुसंधान, वैश्विक सहयोग, कूटनीति, पर्यावरण स्थिरता व शांति और सुरक्षा पर जोर दिया था।
विशिष्ट अतिथि सुरेश चंद्र शुक्ला, संपादक स्पेल-दर्पण ओस्लो, र्नोवे ने कहा कि मानवता से बड़ कोई धर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने संविधान के माध्यम से जात-पात से दूर रहकर शिक्षा ग्रहण करने का संदेश दिया व सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव, असमानता को दूर करने कार्य किया।
केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में 6 तकनीकी सत्रों में विद्वतजन, शिक्षक एवं शोधार्थी शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में डॉ. अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र द्वारा 8 पुस्तकें पब्लिश की जा चुकी हैं तथा केन्द्र के पुस्तकालय में डॉ. अम्बेडकर से संबंधित 3200 पुस्तकें हैं।
केन्द्र के सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आने वाला समय भारत का है तथा प्राचीन भारतीय समृद्ध संस्कृति द्वारा भारत निरंतर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र डॉ. अम्बेडकर के विचारों को मूर्त रूप देने का अहम कार्य कर रहा है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन डॉ. संगीता धीर ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. शुचिस्मिता, केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद, सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह, डॉ. केएल टुटेजा, डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. रमेश सिरोही डॉ. जितेन्द्र खटकड़, कुटा प्रधान, डॉ. आनन्द कुमार, डॉ. तेलू राम, केयू लोकल ऑडिट के संयुक्त निदेशक चांदराम भुक्कल, आरएसए कुलदीप सिंह, दलबीर मान सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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