अरै नशे के व्यापारी, पैसे के लालच नै तेरी मत मारी : डॉ. अशोक वर्मा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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छाया- संगीता सिंग।
कविता रचयिता – डॉ. अशोक कुमार वर्मा।
कुरुक्षेत्र :- अरै नशे के व्यापारी, पैसे के लालच नै तेरी मत मारी।
तू तस्कर बन बैठा, तनै बालकां की जिंदगी उजाड़ी।
अरै! नशे के व्यापारी, पैसे के लालच नै तेरी मत मारी।
बहुत घर उजाड़ दिए तनै, तेरी क्या थी लाचारी।
अरै ! नशे के व्यापारी, पैसे के लालच नै तेरी मत मारी।
तनै छोटे छोटे बालकां तै भी नहीं छोड़ा, तनै उन मैं भी लत पा दी।
अरै! नशे के व्यापारी, पैसे के लालच नै तेरी मत मारी।
ओ शैतान के बच्चे, नई तांदी तै तनै घनी भुंडी बना दी।
अरै ! नशे के व्यापारी, पैसे के लालच नै तेरी मत मारी।
थानै, प्रयास संस्था घर घर जाकै समझा रही।
अरै ! नशे के व्यापारी, पैसे के लालच नै तेरी मत मारी।
थानै सुधरन की बात बता रही, फिर भी थारी समझ नहीं आ रही।
अरै! नशे के व्यापारी, पैसे के लालच नै तेरी मत मारी।
प्रस्तुति – डॉ. अशोक कुमार वर्मा हरियाणा पुलिस विभाग में उच्च अधिकारी है।