दरभंगा में आयोजित राष्ट्र स्तरीय डाँस फेस्टिवल में डॉक्टर जयदीप मुखर्जी करेंगे भरतनाट्यम की प्रस्तुति
आयजकों ने विशेष तौर पर किया है नृत्य गुरु को भरतनाट्यम की प्रस्तुति के लिए आमंत्रित…
कहते हैं जो लोग स्वयं में प्रतिभावान होते हैं, वह हमेशा ही औरों की प्रतिभा का भी सम्मान करते हैं । तभी तो दरभंगा की माटी ने पूर्णिया की माटी का सम्मान करते हुए, शास्त्रीयनृत्य से संबद्ध पूर्णिया के कलाकारों को दरभंगा में आयोजित दरभंगा डाँस फेस्टिवल 2023 में सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया है ।ऐसा माना जाता है कि बिहार की भूमि दरभंगा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए हमेशा जानी जाती जाती है। यहां की भूमि पर स्वयं एक से बढ़कर एक प्रतिभावान कलाकार हुए और यहां की मिट्टी में रची -बसी मिथिला संस्कृति को अपनी कला प्रतिभा से, कण-कण से जोड़ने का प्रयास किया । साथ ही यह बंगाल का द्वार भी मानी जाती है और बंगाल भी अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए हमेशा से जानी जाती है । लेकिन इस बार बिहार की इस भूमि पर नृत्य का जो मंच सज रहा है, उस मंच पर केवल बिहार और बंगाल की खुशबू ही नहीं महसूस की जा जाएगी बल्कि दक्षिण भारतीय शैली की संस्कृति को भी दरभंगा डाँस फेस्टिवल में विशेष रूप से स्थान दिया जा रहा है और इसके लिए बिहार के ही प्रतिभावान कलाकार पूर्णिया माटी के सिद्धहस्त शास्त्रीय नृत्य गुरु डॉ0 जयदीप मुखर्जी को विशेष रुप से शास्त्रीय नृत्य शैली में, भरतनाट्यम की एकल नृत्य प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है । साथ ही डॉ0जयदीप मुखर्जी के परम शिष्य, चर्चित भरतनाट्यम कलाकार सूरज साहनी एवं शिष्या काजल देवनाथ को भी भरतनाट्यम शैली में ही अपने गुरु के साथ युगल शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति के लिए अवसर प्रदान किया जा रहा है। ज्ञात हो कि डॉ0 जयदीप मुखर्जी को वरिष्ठ शास्त्रीय नृत्य कलाकार के रूप में न केवल बिहार में बल्कि बिहार के बाहर दूसरे प्रांतों में भी काफी ख्याति मिल चुकी है । साथ ही यह उत्तर भारत में दक्षिण भारतीय संस्कृति को सहेज कर, उत्तर भारत में भी नई प्रतिभा को इस महत्वपूर्ण दक्षिण भारतीय शैली के शास्त्रीय नृत्य के लिए तैयार करनेवाले विख्यात भरतनाट्यम गुरु के रूप में पहचाने जाते हैं। इनके शिष्यों ने लगातार बिहार प्रांत का नाम शास्त्रीय नृत्य शैली के भरतनाट्यम नृत्य में रौशन किया है और अपने साथ-साथ अपनी माटी का नाम भी गौरव प्रदान किया है ।इन दिनों डॉ0 जयदीप मुखर्जी नृत्य संगीत की तालीम देने के लिए, पूर्णिया के केन्द्रीय कारा मे भी प्रशासनिक निर्देश के आलोक में ,आमंत्रित गुरु के रूप में कार्य कर रहे हैं और वहांके कैदियों के अंधेरे मन में संस्कृति की मशाल से उजाला फैला रहे हैं ।इनके इस कार्य में इनका सहयोग इनके से शिष्य सूरज साहनी भी किया करते हैं । दरभंगा के सरस्वती फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘दरभंगा डाँस फेस्टिवल’ में डॉ0 जयदीप मुखर्जी और उनके शिष्यों को पूर्णिया से आमंत्रित किया जाना, यह सिद्ध करता है कि बिहार की माटी आज भी देश अन्य प्रांतों की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ी हुई है और आपस में एक दूसरे का सम्मान भी करती है । दरभंगा के यूनिवर्सिटी कैंपस में आयोजित इस राष्ट्र स्तरीय में डाँस फेस्टिवल में इनकी प्रस्तुति रविवार 2 अप्रैल को संध्या पाँच बजे के विशेष सत्र में होगी । इसके अलावा 9 अप्रैल को असम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव में भी इन्हें शास्त्रीय.नृत्य शैली के भरतनाट्यम की प्रस्तुति के लिए विशेष तौर पर आयोजकों के द्वारा आमंत्रित किया गया है । निश्चित तौर पर डॉ0 के जयदीप मुखर्जी को बिहार और असम के महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया जाना न केवल डॉ0 जयदीप मुखर्जी का सम्मान है बल्कि पूर्णिया माटी का भी सम्मान है । इनकी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए पूर्णिया की चर्चित नाट्य संस्था, रामलीला क्रिएशन पूर्णिया और इनके नृत्य संगीत महाविद्यालय, सूजन कलामंडलम से जुड़े सभी कलाकारों ने इन्हें शुभकामनाएं प्रेषित की है ।