हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र 30 मई, श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय, जिगनासा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, सेवा भारती व आरोग्य भारती द्वारा कुरुक्षेत्र जिले मे कोविड संक्रमित रोगियो की टेलिफोनिक मेडिकेशन व मोटिवेशनल सलाह देने के लिए 10 विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई व आयुष विश्वविद्यालय के डॉ. रजनी कांत शर्मा रिसर्च साइंटिस्ट, रिसर्च व इनोवेशन विभाग के निर्देशन मे इस कार्य को प्रारंभ किया गया | डॉ. रजनीकांत ने बताया ,कि कुछ समय पूर्व वह और उनकी पत्नी दोनों कोरोना संक्रमित हो गए थे l उस समय हमे महसूस हुआ, कि संक्रमित रोगियों को मानसिक रूप से मजबूत करना व स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताई गयी दवाइयों के बारे में सही जानकारी देना अत्यावश्यक है । संक्रमित रोगियों में संक्रमण के लक्षण आने के प्रारंभ के 7 दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं | लोगो को कोविड संक्रमण होने की सूचना तो मिल जाती है ,लेकिन दवाई पहुंचने में थोड़ा विलंब हो जाता है l कभी-कभी 3 से 4 दिन भी लग जाते हैं | अगर उस समय उन्हें सही मार्गदर्शन मिल जाए, तो वह लोग संक्रमण के ज्यादा हानिकारक स्तर पर जाने से बच जाते हैं l दूसरा आज के समय में टीवी व अन्य प्रचार माध्यमों के द्वारा कोविड-19 की भयानकता को जिस तरह से बताया जा रहा है ,उससे आमजन के मन में डर पैदा हो रहा है l उनका आत्मविश्वास कम हो रहा है । ऐसी अवस्था मे उनकी व परिवार की काउंसलिंग की बहुत आवश्यकता महसूस हुई । इस कार्य मे अब तक हमारी टीम ने 1612 कोविड संक्रमित रोगियो को खुद फोन कर कोविड संक्रमण के दोरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई दवाइयो के बारे में जानकारी देना प्रारंभ किया , व उनके परिवारों की काउन्सलिन्ग करी। संक्रामण के दोरान आयुर्वेदिक ओषधियों जैसे कि महासुदर्शन घनवटि, षडंग पानेय काढ़ा आदि के उपयोग से परिवार व स्वयं की इम्यूनिटी बनाए रखने की सलाह दी । पोस्ट कोविड लक्षणो के विषय मे भी जानकारी दी गयी । ऐसा अनुभव में आया कि इस अवस्था में उसको आई.सी.एम.आर. की गाइडलाइन के अनुसार सही दवाई के विषय में बताना बहुत से लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ | टेलिफोन संपर्क कै दोरान ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे बहुत से लोग पाए गए जो कि ,सोशल मीडिया ऐप के माध्यम से बात करने में असमर्थ पाये गए । बहुत से परिवार ऐसे भी मिले जहां पर पति पत्नी दोनों संक्रमित हो गए l तब उनके भोजन आदि व्यवस्था हेतु अन्य सामाजिक संस्थाओं का सहयोग लिया गया । दो तीन संक्रमित गर्भवती महिलायो को तुरंत संबन्धित सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रो मे जा कर परामर्श लेने की सलाह दी | शहरी क्षेत्र मे बहुत से रोगी अत्याधिक कॉल आने के कारण बहुत परेशान भी दिखे और उन्होने ढंग से बात भी नहीं करी । लेकिन हमारी टीम ने उनका भी साथ नहीं छोड़ा और उनको भी तीन-चार दिन बाद दुबारा फोन कर उनका कुशलक्षेम व उनको मोटीवेट किया । जिन रोगियो ने अपना ऑक्सीजन लेवल मामूली सा कम बताया उनको फिजिकल एक्सरसाइज के माध्यम व कुछ घरेलू उपचार की चीजों के माध्यम से भी ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में उनकी सहायता करी | रोगियो को किसी भी इमेर्जेंसी मे तुरंत 1950 नंबर पर परामर्श लेने की सलाह दी। इस अभियान मे हमे आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार का पूर्ण सहयोग व मार्गदर्शन मिला। आयुष विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीसी मंगल, डॉ. सतबीर चावला, डॉ. पूनम आर्य, डॉ. मोनिका गर्ग, डॉ. मोनिका सिंह, डॉ. हिमांशु, अदिति, सुमित सैनी, जिगनासा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से डॉ. मनीष, मोहित, रणधीर, सुरेन्द्र, मनीष, डॉ. श्याम आरोग्य भारती व सेवा भारती कुरुक्षेत्र ने इस अभियान को सफल बनाने मे पूर्ण सहयोग दिया l
आयुष विश्वविद्यालय के डॉ. रजनी कांत शर्मा।