बिहार:गोदना ठाकुरबाड़ी मंदिर में 90 वर्षो से हो रही है दुर्गा पूजा पहले दिन से ही माता के खुलते है पट

गोदना ठाकुरबाड़ी मंदिर में 90 वर्षो से हो रही है दुर्गा पूजा
पहले दिन से ही माता के खुलते है पट

फारबिसगंज (अररिया) अमित ठाकुर

फारबिसगंज के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में पूजा की तैयारी शुरू हो गई है। मंदिरों की साफ सफाई व रंग रौगन करने का कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है। शहर के वार्ड संख्या 14 स्थित श्री गोदना ठाकुरबाड़ी में पिछले 90 वर्षो से शारदीय नवरात्र के अवसर पर माता दुर्गा की पूजा अर्चना श्रद्धापूर्वक से होती आ रही है। यहां दुर्गा पूजा की शुरुआत 1931 ई. में स्व.पं. हरिनारायण मिश्र ने अपने निजी जमीन में रामखेलावन सिंह, शीतल साह, खोखा बाबू, जोहरमल पेडीवाल, उपेंद्रचंद दास, सीताराम अग्रवाल द्वारा संयुक्त रुप से पूजा प्रारंभ की गई थी। उस समय यह दुर्गा मंदिर आज की तरह पक्के भवन का नही था। दुर्गा पूजा के लिए बांस, बल्लों और तिरपाल आदि से पंडाल बनाया जाता था। हर साल पंडाल बनाने की परेशानी को देखते हुए पक्का मंदिर का निर्माण कराया गया। बंगाल के मूर्तिकार ने सबसे पहले यहां माता दुर्गा की प्रतिमा बनाई थी।
आजकल स्थानीय पंडाल निर्माताओं से पंडाल बनवाया जाता है। कपड़े और थार्मोकोल से भव्य पंडाल बनाया जाता है। इसके लिए महीने भर पहले से तैयारी शुरू कर दी जाती है। यहां प्रथम पूजा से ही मंदिर में माता के पट खुल जाते है। रोज विधि विधान से माँ के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना और पुष्पांजलि की जाती है। जिसमें बड़ी संख्या में महिला और पुरुष व बच्चे शामिल होते हैं।
इस मंदिर की खासियत यह है की अभी तक माता के प्रसाद में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नवमी को प्रसाद में खीचडी का महाभोग लगाया जाता है। वहीं दशमी के दिन महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर मानो सिंदूर होली खेलती है, जो शहर में आकर्षण व भक्ति का केंद्र रहता है।
गोदना ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर में नवरात्र के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के उचित प्रबंध रहते है। सतमी, अष्टमी एवं नवमी को दिन भक्तों की अत्याधिक भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन द्वारा शांति व्यवस्था के लिए सुरक्षा बल दिया जाता है। क्योंकि अष्टमी और नवमी के दिन माता दुर्गा के दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ मंदिर परिसर में जुटती है। शहर में गोदना ठाकुरबाड़ी दुर्गा पूजा का एक अलग ही आकर्षण रहता है।
वर्तमान में ठाकुरबाड़ी के संचालक पं. सुरेश मिश्र उर्फ भूलन बाबा ने बताया कि शहर में सबसे पहले यहीं ठाकुरबाड़ी में मां की प्रतिमा स्थापित की गई थी। जो आज तक जारी है। बताया की मां की महिमा अपरंपार है। सच्चे मन से जो भी भक्त माता के दरवार में मन्नते मांगता है। माता उसको पूरी करती है। बंगाली विधि से पूजा अर्चना की जाती है।
गोदना ठाकुरबाड़ी में
पूजा प्रारंभ से ही संचालक के परिवार द्वारा ही पूजा-अर्चना करते आ रहे है। संचालक पं. भूलन बाबा द्वारा दस दिनों तक बंगाली पद्धति के अनुसार पूजा करायी जाती है। जो शहरवासियो के बीच आकर्षण का केंद्र रहती है।
फोटो कैप्शन – फारबिसगंज का गोदना ठाकुरबाड़ी मंदिर।

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