संवाददाता विक्रम कुमार
कसबा नगर परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद पर चुनाव आयोग द्वारा रोक लगा देने से कसबा नगर परिषद का विकास पर फिर से विराम लग गया। आम लोगों में चुनाव स्थगन एक चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग यह कहते हैं कि चुनाव आयोग ने प्रजातंत्र का गला घोंट दिया है। अविश्वास प्रस्ताव लगने के बाद बहुमत रहने के बाद चुनाव आयोग इसे अनदेखी कर रहे हैं। कसबा नगर परिषद के मुख्य पार्षद अवधेश कुमार यादव एवं उप मुख्य पार्षद सीतादेवी पर 17 पार्षदों में 11 पार्षदों ने सफाई, शौचालय खरीदारी आदि में अनियमितता को लेकर जनवरी माह में ही अविश्वास प्रस्ताव लगा दिया था, लेकिन उस समय तात्कालिक कार्यपालक के द्वारा कारण नहीं भेजने से चुनाव का स्थगन हो गया था। उस समय यह मामला हाई कोर्ट पटना में एडमिट था। हाई कोर्ट के केस नंबर 4165/21 के द्वारा नगर परिषद को बैठक कर कारण सहित रिपोर्ट भेजने को कहा गया था। बैठक के बाद रिपोर्ट भेजने पर चुनाव आयोग के सचिव के पत्रांक 2706 के आलोक में 4 अगस्त 2021 में चुनाव संपन्न कराने का आदेश जिला पदाधिकारी पूर्णिया को दिया गया था। ठीक चुनाव के एक दिन पूर्व चुनाव आयोग के ज्ञापांक 15 के आलोक में उत्क्रमित नगर परिषद बनने एवं विस्तारित सर्वेक्षण को लेकर चुनाव को नगर परिषद निदेशालय द्वारा रोक लगा दिया गया। जबकि यह मामला हाईकोर्ट का था। कोर्ट के निर्देश अनुसार कार्य हो रहा था लेकिन चुनाव प्रक्रिया में 8 माह व्यतीत हो गए। कुछ भी परिणाम सामने नहीं आया। कसबा नगर परिषद का कार्यकाल मात्र 7 से 8 माह ही बचा है, ऐसी स्थिति में कोई बड़ी योजना वाली कार्य बाधित रहेगी।
इस संबंध में कसबा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मनीषा कुमारी ने बताया चुनाव आयोग का निर्णय मानना होगा तथा बड़ा काम सड़क,नया आवास आदि का टेंडर बाधित रहेगा।