ट्रामा सेंटर मे मिली खाली शराब की बोतलें , बना शराबियों का अड्डा
👉, प्रशासन की नाक के नीचे ट्रामा सेंटर बना मैं खाना सेंटर
कन्नौज ।आधुनिक रूप से बना ट्रामा सेंटर शराब पीने वालों के लिए मयखाने का अड्डा बन चुका है ट्रामा सेंटर तो चमचमाता हुआ पूरी तरह से खड़ा हो गया। सपा सरकार में लाखों का बजट आया और ट्रामा सेंटर बन गया। लेकिन स्टाफ के अभाव में यह चालू नहीं हो पाया। जिसका नतीजा अब सामने आ रहा है। कि कैसे यहां पर रात होते ही शराब की महफिल जमती है ।भले ही नीचे पुलिस चौकी क्यों ना हो लेकिन शराबियों को शायद उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में यहां पर शराब कौन पीता है। यह एक बड़ा सवाल है। क्या सरकारीअस्पताल का स्टाफ यहां पर आकर इस तरह के काम करता है। क्योंकि आम इंसान की तो अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी । ट्रामा सेंटर के कोने कोने में पड़ी शराब और बियर की सैकड़ों की तादाद में बोतल यह गवाही दे रही हैं कि रात होते ही ट्रामा सेंटर में सजती है शराब की महफिल।सदर क्षेत्र के जिला अस्पताल के परिसर में ही सपा सरकार में ट्रामा सेंटर का निर्माण हुआ था। करीब 96 लाख से ज्यादा की कीमत से ट्रामा सेंटर का निर्माण किया गया था। और इसमें आधुनिक उपकरण भी दिए गए थे। ताकि गरीब जनता को बेहतर इलाज मिल सके। और उनकी तमाम अन्य समस्याओं का निदान हो सके। लेकिन स्टॉप न मिलने के कारण ट्रामा सेंटर आज भी कई सालों के बाद सुनसान पड़ा है और लाखों की कीमत के उपकरण धूल फांख रहे है। पिछले कुछ समय में ट्रामा सेंटर कूड़े खाने का अड्डा बना शराब पीने का अड्डा बना जिसके बाद आला अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया और ट्रामा सेंटर के नीचे पुलिस चौकी के लिए नीचे का फ्लोर दे दिया ताकि ट्रामा सेंटर में इस तरह के लोगों के द्वारा की जा रही गलत गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके। लेकिन बीते कल ट्रामा सेंटर में बड़ी मात्रा में एक्सपायरी हुई दवा बरामद हुई जिसमें कुछ ऐसी दवाएं थी।जिसको कई सालों पहले तक देखा जाता था लेकिन उसके बाद यह चीजें यहां पर बरामद हुई। वहीं आज बड़ी मात्रा में शराब और बीयर की बोतलों का अंबार देखा गया। जिसके बाद अब यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रामा सेंटर में ऐसी शायद ही कोई गलत गतिविधि बची हो। जो ना होती हो मिलीभगत की अगर बात करी जाए तो साफ तौर पर पुलिस और एम्बुलेन्स स्टाफ के सामने दिख रही है ।क्योंकि जो 108 एंबुलेंस चालक है बताया जा रहा है। उन्हीं ने यहाँ कब्जा कर रखा है। रात होते ही यहां महफ़िल जमती है। और शराब पीते हैं फिलहाल मामला उठते ही अधिकारियों में फिर से चुप्पी साध ली है। और महज रटे रटाये जवाब में एक ही बात बोलने वाले है कि जांच कर कारवाही होगी।
वही जिला अस्पताल के सीएमएस खुद असहाय नजर आ रहे है ।उनका कहना है ट्रामा सेंटर खाली कराए जाने को लेकर कई बार वह खुद लेटर लिख चुके है ।