उत्तराखंड: महाकुंभ हरिद्वार, महाकुंभ मेले के लिए तीर्थनगरी में पहुँचे किन्नर आखाड़ा से जुड़ी इंजीनियरिंग और चित्रकार,

उत्तराखंड: महाकुंभ हरिद्वार,
महाकुंभ मेले के लिए तीर्थनगरी में पहुँचे किन्नर आखाड़ा से जुड़ी इंजीनियरिंग और चित्रकार,
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
सागर मलिक

हरिद्वार। किन्नरों के प्रति समाज का नजरिया आज भी नहीं बदला है। समाज के इसी भेदभाव ने किन्नरों को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई है। शादी विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों में नेग मांगना उनकी परंपरा का हिस्सा है। अब इसी समाज के लोग हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। महाकुंभ मेले के लिए तीर्थनगरी में पहुंचे किन्नर अखाड़ा से जुड़ी किन्नरों की बात करें तो यहां मॉडल से लेकर, इंजीनियरिंग और चित्रकार भी हैं।
दिल्ली की रूद्राणी क्षेत्री ने फिल्म द लास्ट कलर में दूसरी मुख्य भूमिका निभाई है। यह फिल्म बनारस की विधवाओं पर आधारित और अमेजॉन पर चल रही है। फिल्म को शेफ विकास खन्ना ने निर्देशित किया है। रूद्रणी ट्रांसजेंडरों के लिए अपनी एक मॉडलिंग एजेंसी भी चलाती है।

उनका कहना है कि हमारे समाज को मुख्य धारा से हटाया गया है। नौकरी हो, कला या राजनीति किन्नर समाज अब हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। उनका कहना है कि लोगों में भेदभाव इतना है कि उन्हें लगता है कि हर प्रोडक्ट मर्दों या औरतों के लिए ही है। जबकि ऐसा नहीं है। 
चित्रकार हैं वैष्णवी नंदगिरी
प्रयागराज की वैष्णवी नंदगिरि ने एमिटी विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन फाइन ऑर्ट का कोर्स किया है। वह देश-विदेश में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी हैं। वह बताती हैं कि सभी को भगवान ने बनाया है, लेकिन समाज किन्नरों से साथ भेदभाव करता है।
ऐसे में किन्नर अब दिखाना चाहते हैं कि वह किसी से कम नहीं है। उनका कहना है कि हमारा पूरा समाज कला और संस्कृति से है।

आत्मा में ही कला बसी हुई है। उन्होंने बताया कि जन्म से ही कलाकार व्यक्ति को किसी भी प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती है। किन्नर समाज कला और हर चीज से परिपूर्ण है।

किन्नर बच्चों के लिए काम करतीं है पवित्रानंद गिरि
महाराष्ट्र के विदर्भ की रहने वाली पवित्रानंद गिरि किन्नर अखाड़ा की पीठाधीश्वर हैं। वह एलजीबीटीक्यू (लेस्बिनय, गे, बाईसैक्सुअल, और ट्रांसजेंडर) के लिए काम करती हैं। महाराष्ट्र के अमरावती में तीन एनजीओ का संचालन कर रही हैं। किन्नरों के हक के लिए लड़ती हैं।
इसके साथ ही किन्नर अखाड़ा की पूरी व्यवस्था देखती हैं। वहीं किन्नर समाज के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ लगातार आवाज भी उठाती हैं।
उनका कहना है वह किन्नर बच्चों के विकास के लिए लगातार काम कर रही है। ताकि उनको आगे जाकर कोई भी दिक्कत ना आए। इसके लिए वह बच्चों को स्कूलों में भी अपनी संस्था के माध्यम से दाखिला करवाती है। 

पुष्पा माई 2015 से जुड़ी है अखाड़े से 
राजस्थान जयपुर की पुष्पा माई ने बताया कि जब 2015 में किन्नर अखाड़ा बनाया गया था। उस समय से ही अखाड़ा से जुड़ी हैं। जयपुर में वह नई भौर नाम की संस्था चलाती है।
संस्था के माध्यम से वह ट्रांसजेंडर के उत्थान के लिए काम करती हैं। किन्नर पढ़ लिखकर समाज के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चल रहे हैं।
आने वाले समय में किन्नर देश की राजनीति में अपनी पूरी उपस्थिति दर्ज कराने चाहते हैं। 

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