दूसरों से अपनी तुलना न कर अपनी विशिष्टता का आनन्द लेः प्रो. हरदीप लाल जोशी

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुवि में कार्यरत क्लर्कों के लिए रिफ्रेशर कोर्स के दूसरे दिन स्ट्रेस मैनेजमेंट की दी जानकारी।

कुरुक्षेत्र, 12 जुलाई : जीवन में समस्याएं बहुत है परन्तु यह आपकी सोच पर निर्भर है कि आप इसे किस प्रकार लेते हैं। जीवन में अगर तनाव रहता है तो आप उसे मैनेज कर सकते हैं लेकिन यदि यह मैनेज न हो पाए तो स्ट्रेस डिप्रैस में भी बदल जाता है जिसका परिणाम घातक होता है। इसलिए तनाव को दूर करने के लिए सोच को बदलने की जरूरत है। यह विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर हरदीप जोशी ने मंगलवार को फैकल्टी लॉज में कुवि में कार्यरत क्लर्कों के लिए आयोजित रिफ्रेशर कोर्स के दूसरे दिन बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपनी तुलना जब दूसरों से करता है तो वह तनाव में आता है इसलिए व्यक्ति को अपनी विशिष्टता का आनन्द लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि तनाव दो प्रकार का होता है सकारात्मक एवं नकारात्मक। नकारात्मक तनाव में जब आप तनाव को महसूस करते हैं तो आपके दैनिक जीवन में बाधाएं उत्पन्न हो जाती है। उन्होंने बताया कि यदि आपकी नौकरी लग जाए तो नौकरी के स्टेशन न मिले तो सकारात्मक तनाव होता है।
प्रो. हरदीप लाल जोशी ने कहा कि सभी लोगों का तनाव एक जैसा नहीं होता तथा व्यक्तिगत रूप से हर व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार अलग प्रतिक्रिया होती है। वहीं स्ट्रैस ज्यादातर अपनी वजह से ही उत्पन्न होता है। दैनिक जीवन की व्यस्तताओं की वजह से मानव मशीन की तरह कार्य कर रहा है। तनाव की वजह से नींद कम हो जाती है तथा कुछ व्यक्ति तनाव में कम खाना खाते हैं तो कुछ ज्यादा। इसके अतिरिक्त व्यक्ति में स्मृति का कम होना, मन में उलझन का होना, दांतों से नाखून काटना तथा भावनाओं में बहकर ज्यादा बोलना तनाव का दर्शाता है। उन्होंने तनाव को दूर करने के लिए तीन मंत्र भी दिए। उन्होंने कहा कि तनाव को दूर करने के लिए जागरूक होना होगा कि तनाव क्यों हो रहा है तथा इस परिस्थिति में हमें कैसे प्रतिक्रिया करनी चाहिए। सकारात्मक एवं नकारात्मक तनाव में सामंजस्य बनाना जरूरी है। जब लगातार तनाव के कारण गुबार बन जाता है तो व्यक्ति को अपने विचार शेयर करने की जरूरत होती है जिससे तनाव पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि तनाव को दूर करने के लिए योग एवं संगीत का सहारा लेना चाहिए जिससे नकारात्मक भावनाएं दूर हो सकेंगी। दैनिक जीवन में स्क्रीन समय को कम करने की भी आवश्यकता है। इससे कम करने से ब्रेथ पावर बढ़ेगी तथा इससे दिमाग को आराम मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमें दूसरे के प्रति सहयोग की भावना रखनी चाहिए। इसके साथ ही मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार स्वयं के साथ प्रतिदिन 40 मिनट की सैर भी तनाव को दूर करने में सहायक है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि रात को सोते समय यह सोचकर सोंये की आज का काम खत्म हो चुका है। इसके बाद 10 मिनट के लिए अपनी सांसों पर ध्यान दें। इस अवसर पर प्रो. जोशी ने तनाव प्रशिक्षण को लेकर कर्मचारियों को मसल्स आधारित शारीरिक क्रियाएं भी करवाई गई जो तनाव को कम करने में सहायक होती हैं।रिफ्रेशर कोर्स के नोडल ऑफिसर व परीक्षा नियंत्रक डॉ. अंकेश्वर प्रकाश ने बताया कि रिफ्रेशर कोर्स में तनाव को दूर करने के प्रशिक्षण का उद्देश्य कर्मचारियों को मानसिक तौर पर सशक्त बनाना है। इस अवसर पर कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. सुनील ढुल ने सभी धन्यवाद करते हुए कहा कि यह रिफ्रेशर कोर्स विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी गैर-शिक्षक कर्मचारियों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
इस मौके पर इस रिफ्रेशर कोर्स में मंच का संचालन वर्षा ने किया। रिफ्रेशर कोर्स के सफल आयोजन में स्थापना शाखा के सहायक मनदीप शर्मा, लिपिक वर्षा, सौरभ दहिया व मोहित शारदा ने सहयोग किया।

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