हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 22 अप्रैल : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग में शुक्रवार को विभाग के 7 छात्रा-कलाकार नेहा चौहान, नंदिनी सतिजा, हिमांशी मित्तल, साक्षी रोहिल्ला, मेघा सरोया, प्रियांशी वालिया, आरती भाऊ की कला प्रदर्शनी विबग्योर का उद्घाटन किया गया । विभाग की आर्ट गैलरी में आयोजित इस कला प्रदर्शनी में आईपीएस डॉ. अंशु सिंगला, सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) कुरुक्षेत्र ने बतौर मुख्य अतिथि विधिवत रूप से प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर प्रदर्शित बहुमाध्यम में बनी कलाकृतियों का मुख्यातिथि ने गहनता से अवलोकन किया तथा कार्यों के विभिन्न पक्षों के बारे में जाना। उन्होंने प्रदर्शनी में प्रदर्शित समस्त कलाकृतियों की सराहना की । डॉ. अंशू सिंगला ने सभी छात्रा कलाकारों से उनके विषय की विभिन्न तकनीकों तथा बारीकियों के बारे में वार्तालाप किया एवं उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी । एसपी डॉ. अंशू सिंगला ने कहा की इस प्रकार की कलाकृतियां विभाग के अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणादायक है। सभी चित्र अत्यंत आकर्षक होने के साथ साथ विचारोत्तेजक भी हैं।
प्रदर्शनी में हिमांशी के दो कैंपेन प्रस्तुत किए गए, जिसमें से एक एचपी सिलेंडर सर्विस कैंपेन आपातकालीन हेल्पलाइन प्रदान करने और दूसरा हनी प्रोडक्ट कैंपेन शहद के प्राकृतिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ के बारे में रहा। साक्षी रोहिल्ला ने मातृभाषा के महत्व को पूरी तरह से गूगल अभियान में चित्रित किया है। लोकल के लिए वोकल के संदर्भ में, उसने स्थानीय उत्पादकों का समर्थन करने के लिए स्थानीय भारतीय उत्पाद को बढ़ावा दिया है। उसकी पोर्ट्रेट फोटोग्राफी के साथ भारतीय महिला की नज़ाकत और सुंदरता को चित्रित किया है। मूर्ति कलाकार आरती भाव पारंपरिक कलाकृतियों से प्रभावित रहे हैं। बसोली लघु चित्र शैली उनके लिए मुख्य रूप से प्रेरणा स्त्रोत है। उन्होंने अपनी मूर्तियों में अपने बचपन की स्मृतियों और जम्मू के वातावरण को मिनिएचर शैली में संजोया है।
नेहा चौहान ने अपना कैंपेन कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को समर्पित किया है। इसमें एक ऐसे एनजीओ की संकल्पना की गई है जो ऐसे अनाथ बच्चों की सहायता करेगी। उनका प्रोडक्ट कैंपेन गर्मियों में प्रयोग होने वाले वेटवाइप्स के बारे में है जिसमें की फलों के फ्लेवर और मिनरल्स का प्रयोग है। इसके अतिरिक्त पर्यटन केंद्रित कैंपेन में उन्होंने दिल्ली के विरासत व ऐतिहासिक स्मारकों को दर्शाया है। नंदनी सतीजा ने अपनी सृजनात्मकता को प्रोडक्ट कैंपेन और स्पॉन्सर्ड कैंपेन के द्वारा प्रदर्शित किया है। उत्पाद संबंधी कैंपेन में उसने तकिए के कवर और जूतों पर विभिन्न तरह की कलात्मक कढ़ाई की है। पेडिग्री से स्पॉन्सर्ड अपने कैंपेन में उसने पालतू जानवरों की दुर्दशा की तरफ संकेत किया है।
वही प्रियांशी ने वृद्धाश्रम पर कैंपियन प्रदर्शित किया, उसने दिखाया की आज के समय में घर में पत्थर की एक मूर्ति की जगह भी रखी जाती है परंतु भगवान स्वरूप मां बाप के लिए जगह नहीं होती । मां बाप अपने बच्चों को जन्म देते,पालते, पढ़ाते हैं और सब कुछ सिखाते हैं ।वह अपने कैंपेन द्वारा यह संदेश देती है कि हमारा घर बिना माता-पिता के केवल एक पत्थर का एक ढांचा है। इसके अतिरिक्त उसने अपने सर्विस कैंपेन पैकर्स एंड मूवर्स पर बनाया। मेघा सरोया अपने काम के जरिये लोगों मे ऑटिज्म को लेकर जागरूकता फैलाना चाहती है।ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं है जो फैल जायगी, यह लोगों का नज़रिया है। वह अपने कैंपेन के द्वारा ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के सामने आने वाली परेशानियां को जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास करती है।
इस प्रदर्शनी में विभागाध्यक्ष डॉ. पवन कुमार के साथ-साथ वरिष्ठ कलाकार प्रोफेसर राम विरंजन, डॉ. मोनिका गुप्ता, डॉ. गुरचरण सिंह,
डॉ. जया दरौदे, डॉ. राकेश बानी, डॉ. आर के सिंह, डॉ. आनंद जायसवाल, आर एस पठानिया व अन्य अध्यापक गण के साथ-साथ शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। यह प्रदर्शनी 22 अप्रैल से 25 अप्रैल, 2022 तक प्रातः 10 से सांय 4.00 बजे प्रतिदिन दर्शकों के लिए खुली रहेगी।