आजमगढ़ उत्तर प्रदेश
बॉलीवुड के मशहूर लेखक और आजमगढ़ के निवासी इम्तियाज हुसैन अपने गृह जनपद पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बताया कि हर वर्ष फरवरी माह में वह अपने पैतृक घर जो कि फूलपुर तहसील के माहुल के समीप शाह रजा गांव में है वहां पर अपनी प्रॉपर्टी की देखभाल को परिवार समेत आते हैं। इसीलिए इस बार भी आए हैं। हाल ही में रिलीज कागज फिल्म पर भी उन्होंने अपनी बात रखी और कहा यह फिल्म उन्होंने आजमगढ़ के लालबिहारी मृतक को देख कर बनाई थी हालांकि डायरेक्टर सतीश कौशिक ने इसमें फेरबदल किया जो अक्सर फिल्म के निर्देशक करते हैं।
बता दें कि इम्तियाज हुसैन ने परिंदा, वास्तव, गुलाम-ए-मुस्तफा जैसी अनेक हॉलीवुड की मशहूर फिल्मों में लेखन का कार्य किया है और तमाम टीवी चैनलों की मशीन कई प्रोग्राम में ज्यूरी की भूमिका भी निभाई है। उन्होंने आजमगढ़ के लाल बिहारी मृतक जो कि खुद को भू राजस्व के अभिलेखों में जिंदा करने के लिए 18 वर्ष संघर्ष किए उनके उपर रिलीज हुई हाल ही में फिल्म कागज का भी लेखन कार्य किया था। इम्तियाज हुसैन के अनुसार सतीश कौशिक ने वर्ष 2003 में ही इस संबंध में उनसे संपर्क किया था। तब वह जब अपने गांव आजमगढ़ आए थे तो वह लाल बिहारी मृतक के घर पहुंचकर उसके बारे में जानकारी किए थे और उन्होंने फिल्म की स्क्रिप्ट भी लिखी थी। जिसका टाइटल था मुझे जिंदा करो इसे बाद में सतीश कौशिक ने मैं जिंदा हूं नाम दिया था। लेकिन इसके बाद और फेरबदल करते हुए फिल्म का नाम कागज रखा। वहीं दूसरी तरफ इम्तियाज हुसैन के साथ मौजूद लाल बिहारी मृतक ने बताया कि वह अनुसूचित जाति से संबंधित हैं और किसान हैं लेकिन इसके बाद भी फिल्में कई जगह विवादास्पद सीन डाले गए। इंग्लिश में लिखे कागजात पर हस्ताक्षर करवाकर उनके सारे राइट्स खरीद लिए गए। यह सरासर अन्याय किया गया है।