आज़मगढ़: पोषणयुक्त खाना खिलायें, बच्चों को सुपोषित बनायें

पोषणयुक्त खाना खिलायें, बच्चों को सुपोषित बनायें।

बच्चों में पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए आँगनबाड़ी कर रही हैं गृह भ्रमण

आजमगढ़।यदि बच्चे का वजन पर्याप्त मात्रा में नहीं बढ़ पा रहा है। या फिर अपर्याप्त भोजन, डायरिया व सांस जैसी बीमारियों से उसका वजन कम हो रहा है तो ऐसे बच्चे वेस्टेड श्रेणी में आते हैं। ऐसे बच्चे अधिकतर गर्भ के समय माँ की लापरवाही का शिकार होते हैं। जागरूकता की कमी के कारण कुछमहिलाएं खान -पान, स्तनपान और साफ -सफाई में लापरवाही बरतती हैं।साफ-सफाई और स्वस्थ वातावरण में रहने से और पोषणयुक्त खाना खिलाने से बच्चे सुपोषित हो सकते हैं।जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मौर्या ने बताया कि इन समस्यों से निपटने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा जिले के सभी ब्लॉक पर तैनात आँगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा गृह भ्रमण कर कुपोषित व कम वजन वाले बच्चों को चिन्हित कर उन्हें पौष्टिक अनाज दिये जा रहें हैं| जिसकी निगरानी विभाग द्वारा की जा रही है।जनवरी 2022 से मई में कुल 5246 नये बच्चे चिन्हित किये गए।पहले से रखे गए और नये कुल 8621 बच्चों का वजन व डाइट चार्ट के आधार पर गृह भ्रमण कर आँगनबाड़ी द्वारा निगरानी की जा रही है।लाभार्थी – ब्लॉक चांदपुर की दो वर्ष की सलोनी की माता ने बताया कि तीन माह पहले सलोनी ढेड किलो की थी| दस्त भी बहुत हो रहा था। आँगनबाडी दीदी ने सलोनी का वजन किया और उन्होने कहा कि बच्ची कुपोषित है।नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर गई | जांच कराकर दवा और सलोनी के लिए पोषण अनाज लिया। प्रति माह सलोनी का वजन किया जाता है, और पोषण भी मिलता है।आज सलोनी साढ़े पाँच किलो की है, और बिलकुल स्वस्थ है।(सीडीपीओ) महाराजगंज रीता सिंह ने कहा कि कुपोषण वह स्थिति है जब बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व, खनिज और कैलोरी प्राप्त नहीं होते हैं, जो पर्याप्त मात्रा में बच्चे के महत्वपूर्ण अंगों के विकास में मदद करते हैं।बच्चे को रोग मुक्त और स्वस्थ जीवन जीने के लिए पोषक तत्व बेहद महत्वपूर्ण है। पर्याप्त पोषण की कमी से, शारीरिक और व्यवहारात्मक, दोनों से संबंधित कई विकार हो सकते हैं।कुपोषण और भूख एक समान नहीं है, हालांकि दोनों संबंधित हो सकते हैं।भूख तब लगती है जब पेट खाली होता है, जबकि कुपोषण पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। कुपोषित बच्चों को शारीरिक कमियों का खतरा हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप विकास अवरुद्ध हो सकता है या कोई रोग हो सकता है।कुपोषण के लक्षण – थकान और कमजोरी चिड़चिड़ापन खराब प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है
सूखी और पपड़ीदार त्वचा
अपर्याप्त, अवरुद्ध विकास
फूला हुआ पेट, घाव, संक्रमण और बीमारी से ठीक होने में लंबा समय लगना मांसपेशियों का कम होना व्यवहारिक और बौद्धिक विकास का धीमा होना
मानसिक कार्यक्षमता और पाचन समस्याओं में कमी
कुपोषण से बचाव के लिए खाद्य पदार्थ फल और सब्जियां–दिन में कम से कम 5-6 बार दूध, पनीर, दही, चावल, आलू, अनाज और स्टार्च के साथ अन्य खाद्य पदार्थ मांस, मछली, अंडे, बीन्स और वे खाद्य पदार्थ जो प्रोटीन से भरपूर होते हैं।

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