उत्तराखंड: 63 निकायों का पहली बार बनेगा मास्टर प्लान, विभाग ने शुरू की कवायद

उत्तराखंड: 63 निकायों का पहली बार बनेगा मास्टर प्लान, विभाग ने शुरू की कवायद,
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

देहरादून। अभी तक केवल बड़े शहरों के ही विकास को लेकर मास्टर प्लान होते हैं। पहली बार प्रदेश के 63 नगर पालिका और नगर पंचायतों के विकास को लेकर मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा।
20 साल की यह महायोजना उन निकायों में न केवल पेयजल आपूर्ति, सीवर लाइन का खाका तैयार करेगी बल्कि आने वाले 20 वर्षों में इन निकायों के विकास का मॉड्यूल भी तैयार होगा। नगर नियोजन विभाग के मुताबिक, मास्टर प्लान का यह काम जीआईएस मैपिंग के तहत किया जाएगा। यानी इन सभी निकायों की सैटेलाइट के माध्यम से मैपिंग होगी, जिसके आधार पर मास्टर प्लान तैयार होगा।

इन निकायों का बनेगा मास्टर प्लान
नगर पालिका : रुद्रप्रयाग, किच्छा, सितारगंज, अल्मोड़ा, रानीखेत-चिनियानौला, मंगलौर, बाजपुर, गदरपुर, बड़कोट, चिन्यालीसौंड़, उत्तरकाशी, टनकपुर, चंबा, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, नई टिहरी, खटीमा, चमोली-गोपेश्वर, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, रामनगर, धारचूला, डीडीहाट, पिथौरागढ़, जसपुर, दुगड्डा, कोटद्वारा, श्रीनगर।
नगर पंचायत : अगस्त्यमुनि, तिलवाड़ा, ऊखीमठ, नानकमत्ता, शक्तिगढ़, भत्रोंजखन, भिकियासैंण, द्वाराहाट, भगवानपुर, झबरेड़ा, लंढौरा, दिनेशपुर, गुलरभोज, केलाखेड़ा, सुल्तानपुर पट्टी, गंगोत्री, नौगांव, पुरोला, बनबसा, चमियाला, गाजा, घनस्याली, लंबगांव, नंदप्रयाग, पीपलकोटि, पोखरी, थराली, कालाढूंगी, लालकुुआं, कपकोट, बेरीनाग, गंगोलीहाट, महुआडावरा, सतपुुली, कीर्तिनगर।

सात शहरों का मास्टर प्लान केंद्र सरकार की निगरानी में
प्रदेश के सात शहरों का मास्टर प्लान केंद्र सरकार की निगरानी में तैयार हो रहा है। इसमें गढ़वाल के तीन और कुमाऊं के चार शहर शामिल हैं। इस महायोजना के लिए विशेषज्ञ भी केंद्र सरकार के ही काम कर रहे हैं, जबकि नगर नियोजन विभाग इसमें बतौर तकनीकी सहयोगी जुड़ा हुआ है। इस योजना के तहत देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, नैनीताल, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी के मास्टर प्लान केंद्र सरकार के मापदंडों के हिसाब से तैयार किए जा रहे हैं।
यह होगा फायदा
निकायों का मास्टर प्लान उनके ऐतिहासिक महत्व से लेकर सुनियोजित विकास का खाका होगा। इसमें उस निकाय की आबादी, 20 साल में संभावित आबादी, रोजगार से जुड़ीं गतिविधियां, इंडस्ट्रीज की संभावना, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, सरकारी इमारतें, खाली पड़ी सरकारी जमीनें, शिक्षा की सुविधा, चिकित्सा व स्वास्थ्य सुविधा, बिजली, पानी, सीवर, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, दूरसंचार, ट्रांसपोर्ट सुविधा, कृषि योग्य भूमि, वन भूमि, प्राकृतिक पर्यटक स्थल, मेले, उत्सव आदि की जानकारी होगी। इस मास्टर प्लान के बनने से सरकार के लिए उन निकायों में विशेष विकास की राह आसान हो जाएगी।

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