बिहार:दधीचि देहदान समिति जिला इकाई का गठन

फारबिसगंज(अररिया) मो माजिद

जरूरतमंदों को अंग उपलब्ध कराने और अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से फारबिसगंज के छुआपट्टी स्थित अजातशत्रु अग्रवाल के आवास पर दधीचि देहदान समिति के अररिया जिला इकाई के गठन को लेकर सदस्यों की बैठक आयोजित हुई। जिसमें 11 सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया। बैठक में अंगदान को लेकर जागरूकता और मृत्योपरांत नेत्र सहित अन्य अंगों के दान को लेकर व्यापक पहलुओं पर चर्चा की गई।मृत्योपरांत शरीर और उसके विभिन्न अंगों को दान करके जरूरतमंदों की न केवल जान बचायी जा सकती है, बल्कि शरीर की उपयोगिता भी सिद्ध की जा सकती है। बैठक में दधीचि देहदान समिति अररिया जिला इकाई के लिए सर्वसम्मति से संरक्षक के रूप में बच्छराज राखेचा और कमलेश अग्रवाल और अध्यक्ष के रूप में अजातशत्रु अग्रवाल और सचिव पूनम पांडिया को चुना गया।जबकि उपाध्यक्ष पद पर शिवनारायण दास उर्फ भानुजी और सीताराम भगत, सह सचिव के लिए पप्पू लड्डा, विपुल छाजेड़, कोषाध्यक्ष इंजीनियर आयुष अग्रवाल, प्रेस सचिव पद पर राहुल कुमार ठाकुर के अलावे तीन सदस्यीय कार्यसमिति सदस्य के रूप में संजय अग्रवाल, सुधा अग्रवाल एवं विनोद तिवारी का चयन सर्वसम्मति से किया गया। मौके पर नवचयनित ज़िलाध्यक्ष श्री अग्रवाल ने बताया कि जिला के सभी प्रखंडों यथा अररिया, जोकीहाट, क़ुर्साकाँटा, सिकटी, पलासी, रानीगंज, भरगामा, नरपतगंज एवं नगर परिषद् अररिया और नगर परिषद जोगबनी से भी एक-एक प्रतिनिधी कुल 10 प्रतिनिधियों को शामिल कर समिति को विस्तारित किया जाएगा। बैठक को सम्बोधित करते हुए दधीचि देहदान समिति अररिया जिला इकाई के अध्यक्ष अजातशत्रु अग्रवाल ने देहदान की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि हरेक साल सैकड़ों भारतीय अंग प्रत्यारोपण के अभाव में समय से पहले काल के गाल में समा जा रहे हैं।हरेक साल 2.1 लाख भारतीयों को गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, लेकिन सिर्फ तीन से चार हजार गुर्दा का ही प्रत्यारोपण सम्भव हो पाता है। श्री अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि नेशनल प्रोग्राम ऑफ कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस के आंकड़े के अनुसार हरेक साल 80 हजार से एक लाख कॉर्निया की जरूरत होती है और हम नेत्रदान कर अगली पीढ़ी को रोशनी प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने अंगदान खासकर नेत्रदान के प्रति लोगों में जागरूकता आने की बात कही और कहा कि लगातार नेत्रदान के लिए शपथ पत्र भरे जा रहे हैं।मौके पर बच्छराज राखेचा, कमलेश अग्रवाल, शिवनारायण दास और सचिव पूनम पांडिया ने नेत्रदान को लेकर कई अहम जानकारी दी और कहा कि संस्था की ओर से पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में आई बैंक खुलवाने को लेकर पहल की जायेगी।आआई बैंक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आई बैंक ऐसी संस्था है, जो दान की गई आंख को एकत्र कर उसको सुरक्षित रख रखाव एवं वितरण की प्रक्रिया सुनिश्चित करता है। मृत्यु के उपरांत छह से आठ घण्टे के अंदर आंख का कॉर्निया निकाल लेने पर नेत्रहीन को रोशनी दिया जा सकता है। बैठक में विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की गई और सामाजिक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने का भी निर्णय लिया गया।
फोटो कैप्शन – बैठक में उपस्थित दधीचि देहदान समिति के नवनियुक्त पदाधिकारीगण।

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