बिहार:ई-संजीवनी एप के माध्यम से घर बैठे ली जा सकती है नि:शुल्क चिकित्सकीय परामर्श

  • हर मंगलवार, बुधवार व शुक्रवार को अपने मोबाइल के जरिये कर सकते हैं चिकित्सकों से सीधा संपर्क
  • जरूरतमंदों को दी जा रही जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं, इलाज के लिये अस्पताल आने की जरूरत नहीं

अररिया संवाददाता

कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा संचालित ई-संजीवनी ओपीडी सेवाएं जिले में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। इसके माध्यम से आम लोगों को टेलीमेडिसिन सेवा के माध्यम से ऑनलाइन कंसल्टेशन की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ई-संजीवनी प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है। जो कोरोना महामारी की वजह से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में बेहद कारगर साबित हो रहा है। ई-संजीवनी एक वेब आधारित व्यापक टेलीमिडिसिन सेवा है। जो ग्रामीण क्षेत्र के वंचित समुदायों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कराता है। उपलब्ध चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार, बुनियादी ढांचें व मानव संसाधन की कमी की समस्या से निपटते हुए जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच आम लोगों तक सुनिश्चित कराता है। टेली मेडिसिन एक ऐसी व्यवस्था है। जिसमें चिकित्सा विशेषज्ञ वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। जिले में इस सेवा का संचालन हर मंगलवार, बुधवार व शुक्रवार सुबह 09 बजे से दोपहर 02 बजे तक किया जा रहा है। जानकारी मुताबिक मई माह के अंत तक जिले में कुल 1334 लोगों ने ई-संजीवनी पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें 1018 लोगों को कंसल्टेशन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।

सेवा के लिये ई-संजीवनी एप डॉउनलोड करना जरूरी :

ई-संजीवनी सेवाओं के लिये अपने मोबाइल पर ई-संजीवनी एप डॉउनललोड करना जरूरी है। जो गूगल प्ले स्टोर के जरिये आसानी से किया जा सकता है। एप डॉउनलोड करने के बाद तीन विकल्प दिखेंगे। पहला मरीज का रजिस्ट्रेशन व टोकन, दूसरा मरीजों के लॉग इन, व तीसरा प्रीसक्रीपशन का विकल्प होगा। रजिस्ट्रेशन व टोकन प्राप्त करने के बाद मोबाइल नंबर डालना होगा। इस पर ओटीपी आयेगा। ओटीपी डालने के बाद आप को एक फार्म भरने के लिये दिया जायेगा। ई-संजीवनी के माध्यम से मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श देने के इच्छुक चिकित्सकों को भी अपना पंजीकरण एप पर कराना होगा। पंजीकृत चिकित्सक ही मरीजों को जरूरी सलाह दे सकेंगे।

चिकित्सकों के पास नंबर लगाने के झंझट से मिलेगी मुक्ति :

इस संबंध में जानकारी देते हुए डीटीएल केयर पर्णा चक्रवती ने बताया कि एप के इस्तेमाल से मरीजों को इलाज के लिये अस्पताल आने की झंझट से मुक्ति मिल जायेगी। वह घर बैठे विशेषज्ञ चिकित्सकों से अपने रोग के संबंध में जरूरी परामर्श ले सकेंगे। इससे उन्हें संक्रमण के खतरों का सामना भी नहीं करना होगा। साथ ही अस्पताल जाने की मजबूरी, लंबी कतार का हिस्सा बनने व फिर चिकित्सक से मिलने के लिये समय लेने से संबंधित दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वरा व्यापक पैमाने पर इस पेार्टल का प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा सकें।

स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों का दबाव होगा कम :

ई-संजीवनी सेवाओं को बेहद उपयोगी बताते हुए सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता ने कहा कि इससे स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों का दबाव कम होगा। साथ ही महामारी के खतरों की वजह से जो लोग इलाज के लिये अस्पताल जाने से बच रहे थे। वे घर बैठे इसके माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों से जुड़ कर रोग संबंधी जरूरी परामर्श ले सकेंगे। वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से मरीज अपनी समस्या चिकित्सकों के पास रख सकेंगे। उचित परामर्श व दवा का सुझाव प्राप्त कर सकेंगे। फिर नजदीकी किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर नि:शुल्क दवा भी प्राप्त कर सकेंगे।

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