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शहीद उधम सिंह जैसे महान बलिदानियों की वजह से ही स्वतंत्रता मिल पाई है : डा. जय भगवान सिंगला।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
प्रेरणा वृद्धाश्रम में क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि।
कुरुक्षेत्र, 31 जुलाई : धर्मनगरी के प्रेरणा वृद्धाश्रम में आयोजित कार्यक्रम में महान क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। यह कार्यक्रम शहीद उधम सिंह के बलिदान दिवस पर आयोजित किया गया था।
इस अवसर पर प्रेरणा संस्था के सभी सदस्यों, पदाधिकारियों, पूर्व सैनिकों एवं वृद्धाश्रम के बुजुर्गों ने एकत्रित होकर भारत माता के महान सपूत को स्मरण किया और उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस कार्यक्रम मंच संचालन करते हुए डा. विजय दत्त शर्मा ने कहा कि भारत की यह विशेषता है कि यहां स्वतंत्रता आंदोलन में एवं मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को कभी भुलाया नहीं जाता है। उन्हें सदा स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं।
इस अवसर पर मां यशोदा बाल वाटिका के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने भी देश के शहीदों को समर्पित अपनी प्रस्तुति दी। साथ ही कार्यक्रम के माध्यम से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में मां यशोदा बाल वाटिका की प्राचार्या राजकुमारी, सुमन शर्मा, लेफ्टिनेंट सुभाष भारद्वाज, मीरा भारद्वाज आदि विद्वानों ने अपने विचार रखे।
प्रेरणा के संस्थापक एवं साहित्यकार डा. जय भगवान सिंगला ने भारत माता के महान सपूत शहीद उधम सिंह को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि ऐसे महान बलिदानियों की वजह से ही हमें स्वतंत्रता मिल पाई है। 20 वर्ष की आयु में जब उस नौजवान ने अपनी आंखों से जलियांवाला बाग के हत्याकांड को देखा था, तभी उसने वहां की मिट्टी को हाथ में लेकर यह प्रण किया था कि ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर और लेफ़्टिनेण्ट गवर्नर माइकल ओ डायर जिन्होंने जलियांवाला बाग में गोली चलाने का आदेश दिया। दोनों को जब तक मैं मार ना दूं तब तक मेरे जीवन का लक्ष्य पूरा नहीं होगा। उधम सिंह अपने इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए प्रतीक्षा की और अपने कम साधनों के बावजूद लंदन तक पहुंचकर वहां से एक पिस्टल खरीद कर एक समारोह में माइकल ओ डायर जो उस समय पंजाब के गवर्नर थे को गोली मारी। जब उनके सम्मान में एक समारोह का आयोजन किया गया था और गोली मारने के बाद वहां से भागे नहीं ना ही बचने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन का लक्ष्य आज पूरा हो गया है। मैंने जो प्रतिज्ञा की थी मैंने वह पूरी कर ली है। मैंने आज एक ऐसे जालिम को गोली मारी है जिसने जलियांवाला बाग में हजारों निर्दोषों को गोलियों से भून कर उनकी हत्या कर दी थी। बाद में वहां की अंग्रेज सरकार ने मात्र 3 महीने के अंदर अंदर उनके केस का निपटारा करके आज ही के दिन उनको फांसी पर चढ़ा दिया। मृत्यु उपरांत वहां की सरकार ने उनको हिंदू धर्म के अनुसार अंत्येष्टि ना करके उन्हें दफना दिया।
डा. सिंगला के बताया कि 1973 में यह मांग उठी कि अमर शहीद उधम सिंह की अस्थियों को अपने देश वापस लाया जाए और साथ में वह किताब जिसमें पिस्टल को छुपाकर वह ले गए थे वह किताब और पिस्टल सभी वापस लाई जाए। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इंग्लैंड की सरकार से बात की और 1974 में उनकी अस्थियों को वापस लाया गया। राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई।
इस कार्यक्रम में आशा सिंगला, राज पवार, बलविंदर कौर, मीना कुमारी, शकुंतला देवी, सीता देवी, उषा सच्चर, क्षमा मल्होत्रा, सुमन शर्मा, इंदरप्रीत सिंह बिंद्रा, कश्मीरी लाल जैन, जोगिंदर सिंह, चंद्रकांत ठक्कर, बी. श्रीवास्तव एवं विजय कुमार अग्रवाल सहित गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
शहीद उधम सिंह को श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हुए एवं शहीद स्मारक पर उद्घोष करते हुए।