आज़ादी सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि देश के प्रति एक जिम्मेदारी : पूनम सिंह

रायबरेली
रिपोर्टर विपिन राजपूत
आज़ादी सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि देश के प्रति एक जिम्मेदारी : पूनम सिंह
स्वतंत्रता के 79 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर रायबरेली की जानी-मानी समाजसेवी पूनम सिंह ने आज दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शामिल होकर देशभक्ति और सेवा का अद्वितीय संदेश दिया।
पहला आयोजन रायबरेली के मलिकमऊ में अमर शहीद शैलेंद्र प्रताप सिंह स्मृति द्वार पर आयोजित हुआ, जहां स्वतंत्रता दिवस की गरिमा के साथ तिरंगा ध्वजारोहण किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ हुई, जिसके बाद पूनम सिंह ने शहीद गेट पर तिरंगा फहराया। उन्होंने अमर शहीद शैलेंद्र प्रताप सिंह की मां एवं पत्नी को पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, “शहीदों का बलिदान हमारी आज़ादी की नींव है। उनका सम्मान करना केवल कर्तव्य ही नहीं, बल्कि हमारी आत्मा का धर्म है।” उन्होंने सार्वजनिक रूप से वचन दिया कि भविष्य में हर समय वह शहीद के परिवार के साथ खड़ी रहेंगी। पूनम सिंह रायबरेली शहर के सम्राट नगर स्थित जे.डी पब्लिक स्कूल पहुँची,। मुख्य अतिथि पूनम सिंह का प्रधानाध्यापक ने मुकुट पहनाकर और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। विद्यालय के बच्चों ने देशभक्ति गीतों, नृत्यों से मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए पूनम सिंह ने बच्चों और अभिभावकों से कहा, “आजादी सिर्फ एक दिन मनाने का अवसर नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाती है कि हमें देश के लिए एकजुट होकर कार्य करना है।” उन्होंने बच्चों को शिक्षा, अनुशासन और नैतिक मूल्यों के महत्व पर जोर देते हुए उन्हें भविष्य के आदर्श नागरिक बनने की प्रेरणा दी। पूनम सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिन हमें उन वीरों की अमर गाथा याद दिलाता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत माता को स्वतंत्र कराया। “आज़ादी सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है—आओ मिलकर एक सशक्त, एकजुट और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करें।”
रायबरेली में हुए इन आयोजनों ने न केवल शहीदों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना को जागृत किया, बल्कि नई पीढ़ी को भी यह संदेश दिया कि देशभक्ति केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से सिद्ध होती है। पूनम सिंह की उपस्थिति और उनके प्रेरक विचारों ने दोनों कार्यक्रमों को एक नई ऊंचाई दी, जिससे यह स्वतंत्रता दिवस स्मरणीय बन गया।