हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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“क्यों मनाई जाती है वसंत पंचमी”
बसंत ऋतु का प्रारंभ व वृक्षों पर नए पत्तों का आगमन।
बसंत पंचमी के बाद सर्दी से राहत शुरू।
कुरुक्षेत्र :- श्री राम ज्योतिष केन्द्र सनेहित सरोवर कुरुक्षेत्र के संचालक पण्डित श्री राम शर्मा ज्योतिषाचार्य ने आज बसंत पंचमी के पावन पर्व पर मानव जाति को शुभकामनाएं देते हुए बताया कि आज के दिन गुरु अपने शिष्यों को अक्षर ज्ञान की शिक्षा देना प्रारंभ करते है। पंडित जी ने बसंत पंचमी की कथा के बारे में जानकारी देते हुए विस्तार से बताया कि बसंत पंचमी इस पृथ्वी के आरंभ काल से जुड़ी हुई है। भगवान विष्णु के कहने पर ब्रह्मा ने इस सृष्टि की रचना की थी। तभी ब्रह्मा ने मनुष्य और समस्त तत्वों जैसे- हवा, पानी, पेड़-पौधे, जीव-जंतु इत्यादि को बनाया था। लेकिन संपूर्ण रचना के बाद भी ब्रह्मा अपनी रचनाओं से संतुष्ट नहीं हुए।
उन्हें अपने रचयिता संसार में कुछ कमी का आभास हो रहा था। इस कमी को पूरा करने के लिए ब्रह्मा ने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। जल छिड़कने के बाद ही वहां पर एक स्त्री रुपी दिव्य शक्ति हाथ में वीणा वादक यंत्र और पुस्तक लिए प्रकट हुई। सृष्टि रचयिता ब्रह्मा ने इस देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया।
जैसे ही देवी ने वीणा बजाया वैसे ही मनुष्य को बोलने के लिए आवाज मिली, पानी के बहने पर कुलबुलाहट शुरू हो गई, हवा में सरसराहट उत्पन्न हो गई और पशु-पक्षी अपने स्वरों में चहकने लगे। तभी ब्रह्मा ने इस देवी को सरस्वती, शारदा और भागीरथी नाम से संबोधित किया। वह देवी आज के युग में सरस्वती नाम से पूजी जाती है। सरस्वती को बुद्धिमता की देवी भी माना जाता है।
इसीलिए हम माघ के महीने में शुक्ल पंचमी को सरस्वती के जन्म दिवस के रुप में मनाते हैं और इसी दिन को हम बसंत पंचमी के नाम से भी जानते हैं ऋग्वेद में भी सरस्वती के बारे में वर्णन मिलता है. ऋग्वेद में जो उल्लेख मिलता है, उसके अनुसार मां सरस्वती बुद्धि प्रदाता है। उनकी सुख समृद्धि और वैभव अद्भुत निराली है। ऋग्वेद के अनुसार श्रीकृष्ण ने ऋषि पंचमी के दिन सरस्वती मां पर प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन सरस्वती मां की पूजा कलयुग में भी होगी।
पण्डित श्री राम शर्मा ज्योतिषाचार्य कुरुक्षेत्र दूरभाष 9255900327