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विद्यापीठ में हुआ सर्वकल्याण की भावना से हुआ गायत्री जप अनुष्ठान।
कुरुक्षेत्र, 8 अगस्त :- जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में नियमित गायत्री मंत्र जाप अनुष्ठान विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। नियमित गायत्री मंत्र जाप अनुष्ठान करवा रहे श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री ने बताया कि ईश्वर सिंह कौशिक, पंकज कौशिक, बाल किशन ठाकुर कौशिक एवं परिवार के सदस्यों ने अनुष्ठान के यज्ञ में आहुतियां दी। उन्होंने बताया कि गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र है, जिसका जाप करने से हर प्रकार के बंधनों से मुक्त हो कर सर्वकल्याण की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग संख्याओं में मंत्रों के जप का विधान है। आचार्य लेखवार के अनुसार यदि साधक पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह मंत्र जाप व साधना करें, तो वांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना रहती है। इसी मौके पर विद्यापीठ में सावन अमावस्या का भी पूजन हुआ। आचार्य लेखवार ने बताया कि सावन महीने की हरियाली अमावस्या है। विशेष तौर पर उत्तर भारत में इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली होती है। इसलिए पुराणों में भी हरियाली अमावस्या को पर्यावरण संरक्षण दिवस के रूप में मनाने की परंपरा है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में वृक्षों को भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं- हर वृक्ष में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के वृक्ष में तीनों महाशक्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी का वास माना जाता है। आचार्य लेखवार ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को आज के दिन कोई न कोई पौधा अवश्य लगाना चाहिए। अगर आज के दिन न लगा सके तो आज से आने वाले आठ दिन तक कभी भी लगा लें। हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष विधान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से प्यार, पैसा और कामयाबी सब मिलता है। इस दिन पितरों के निमित्त दान-पुण्य का भी बहुत अधिक महत्व है।
जयराम विद्यापीठ में सावन अमावस्या पर भंडारे में प्रसाद वितरित करते हुए एवं पूजन करते हुए यजमान परिवार के सदस्य।