श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय अस्पताल में बीना सर्जरी घुटनों के दर्द (ऑस्टियोआर्थराइटिस) से पाएं निजात

श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय अस्पताल में बीना सर्जरी घुटनों के दर्द (ऑस्टियोआर्थराइटिस) से पाएं निजात।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कुरुक्षेत्र 15 सितंबर : घुटनों का दर्द गंभीर बीमारी का रूप लेती जा रही है। बुर्जुग के साथ नौजवान पीढ़ी भी ऑस्टियोआर्थराइटिस बीमारी की चपेट में आ रहें है। प्रारंभिक दौर में अगर इस बीमारी के लक्षण पहचान लिया जाए तो इसका इलाज संभव है वरना डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन की ही सलाह दी जाती है। मगर श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल में ऑस्टियोआर्थराइटिस का आयुर्वेदिक थेरेपी से सफल इलाज किया जा रहा है।
मथाना गांव निवासी गुरु चरण सिंह हरियाणा पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत हैं। जो दो साल पहले ऑस्टियोआर्थराइटिस (घुटनों का दर्द) की बीमारी से पीड़ित थे। घुटनों में दर्द की वजह से उसको चलने-फिरने और उठने-बैठने में काफी परेशानी होने लगी थी। उन्होंने बताया कि में स्पोर्ट्स कोटे से हरियाणा पुलिस में भर्ती हुआ था। खिलाड़ियों को लगातार खेलने की वजह से शरीर संबंधी दुष्परिणाम भी रहते हैं। मगर साल 2020 में जिम में व्यायाम करते समय मेरे दोनों घुटनों के एसिएल और लिगामेंट टूट गए थे। शहर और दूसरे प्रान्तों के कई बड़े डॉक्टरों को दिखाया। सभी ने ऑपरेशन की सलाह दी। सर्जरी का खर्च भी बहुत ज्यादा था। तो किसी से श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय और अस्पताल में ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज का पता चला। पंचकर्म विभाग के डॉक्टरों द्वारा चार महीने पंचकर्म थेरेपी और आयुर्वेदिक औषधियां दी गर्ई। अब मेरे दोनों घुटने स्वस्थ हैं पहले की तरह ही व्यायाम और खेल पा रहा हूं। थोड़ी रीढ़ की हड्डी की समस्या हैं डिस्क के रोग का भी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से इलाज चल रहा है। जो 90 प्रतिशत ठीक हो चुका है।
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के पंचकर्म विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. राजा सिंगला ने बताया कि घुटनों का दर्द (संधिवात) आम समस्या बनती जा रही है। देश का हर तीसरा व्यक्ति ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी से पीड़ित है। महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा मिलती है। मथाना गांव निवासी गुरचरण सिंह पांच महीने पहले श्रीकृष्णा आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज के लिए आये थे। तब उसके घुटने के लिगामेंट पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे। चार महीने की पंचकर्म थेरेपी और आयुर्वेदिक औषधि लेने से गुरुचरण सिंह अब बिल्कुल स्वस्थ है। वह पहले जैसे ही भाग-दौड़ सकता है। उन्होंने बताया कि घुटनों में दर्द के कई लक्षण होते हैं, व्यक्ति के घुटने से आवाज आना, उठने-बैठने में कठिनाई, घुटनों में सूजन और कई बार समस्या इतनी गंभीर होती है कि घुटनों के अंदर के लिगामेंट टूट जाते हैं। जिसकी मुख्य वजह बिगड़ती जीवनशैली, लगातार लंबे समय तक बैठकर काम करना, अध्याधिक वजन उठाना या बिल्कुल काम न करने से घुटनों में दर्द की दिक्कत बढ़ती है। पंचकर्म में रोगी को बस्ती, अग्नि कर्म, लेप और स्वेदन थेरेपी दी जाती हैं जो काफ़ी फायदेमंद सिद्ध हो रही है। हालंकि इस बीमारी से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी और डी लेना चाहिए। जो दूध, घी, अंडे व खटे फलों से मिलता है।
कुशल डॉक्टरों की देखरेख में हो रहे गंभीर बीमारियों के सफल इलाज- कुलपति डॉ. बलदेव कुमार
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि हमारा संस्थान लगातार कुशल डॉक्टरों की मेहनत की बदौलत गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज करने में सफल हुआ है। अस्पताल में इलाज कराने के लिए हरियाणा सहित दूसरे राज्यों से रोगी पहुंच रहे हैं वहीं विदेशों से भी इलाज कराने के लिए यहां आते हैं। इसका सबसे अधिक श्रेय संस्थान के डॉक्टरों का है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी कई गंभीर बीमारियों पर शोध कर रहे हैं। जिनके भविष्य में सुखद परिणाम सामने आएंगे।

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