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गर्भावस्था में डाऊन सिन्ड्रोम की कराएं जांच डा.ए.के
कन्नौज ।अगर कोई मासूम हसमुख, भावुक और शर्मीले स्वभाव का है। वह देखने में गोल-मटोल, चपटा चेहरा, आंखें तिरछी, पलकें छोटी और चौड़ी, नाक चपटी, कान छोटा, उंगलियां छोटी और पैर के तलवे सपाट हैं। उसका मानसिक विकास हम उम्र की तुलना में काफी कम है तो सतर्क हो जाएं। इस तरह ले लक्षण वाले बच्चे अक्सर डाउन सिंड्रोम का शिकार होते हैं। यह कहना है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.ए.के. जाटव का। डॉ. जाटव 21 मार्च यानि विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस अवसर पर मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि डाउन सिंड्रोम से बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर असर पड़ता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य इसके प्रति जागरूकता फैलाना है। जन्मजात विकार से बच्चे के स्वास्थ्य और विकास दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। डा.ने बताया कि बच्चों में होने वाली जन्मजात समस्याओं का संबंध मां के स्वास्थ्य और गर्भावस्था के दौरान की देखभाल से जुड़ा है। यदि मां ने किसी तरह के पोषक तत्व की कमी हो, गर्भावस्था के दौरान उसे सही पोषण न मिले। उसकी सही देखभाल न हो या फिर गर्भावस्था के दौरान मां को कोई समस्या हो जाए तो इसका असर शिशु पर पड़ता है। एक अतिरिक्त क्रोमोसोम(गुणसूत्र) से होती है यह बीमारी ।जिला चिकित्सालय कन्नौज के बाल रोग विशेषज्ञ डा. सुरेश यादव ने बताया कि यह बीमारी नवजात को मां के गर्भ में ही होती है। डाउन सिंड्रोम शरीर में क्रोमोसोम की असामान्य संख्या की वजह से होता है। सामान्य तौर पर व्यक्ति के शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं। इनमें से 23 क्रोमोसोम(गुणसूत्र) मां के और 23 पिता के जीन से मिलते हैँ। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित नवजात में 47 क्रोमोसोम आ जाते हैं। क्रोमोसोम का एक अतिरिक्त जोड़ा शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में संतान को अतिरिक्त क्रोमोसोम मां के जीन से मिलता है। अतिरिक्त क्रोमोसोम को ट्राइसोमी 21 कहते हैं। देर से पहचान से बढ़ती है परेशानी। डॉ.यादव ने बताया कि डाउन सिंड्रोम की वजह से बच्चे में कई प्रकार की बीमारियां होती हैं। ऐसे में अभिभावकों का सतर्क होना जरूरी है। ऐसे बच्चों को अभिभावकों के विशेष निगरानी की आवश्यक्ता होती है। मानसिक रोग के साथ ही बच्चे को दिल और सांस की बीमारी हो सकती है। समय से बीमारी की पहचान कर डॉक्टर से इलाज कराएं। दिल की जांच जरूर समय-समय पर कराते रहें। यह बच्चे संगीत के शौकीन होते हैं। वह गाड़ी का हार्न सुनकर सड़क की तरफ दौड़ने लगते हैं। ऐसे में वह हादसे का शिकार हो जाते हैं। डाउन सिंड्रोम की पहचान
- चपटा चेहरा, खासकर नाक चपटी
- ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें
- छोटी गर्दन और छोटे कान
- मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ
- मांसपेशियों में कमजोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन
- चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर
- अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव
- छोटा कद
- आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों में लक्षण
- सुनने की क्षमता कम होना
- कानों का संक्रमण
- नजर कमजोर होना
- आंखों में मोतियाबिंद होना
- जन्म के समय दिल में विकृति
- थॉयरॉयड
- आंतों में संक्रमण
- मोटापा