जरूरतमंदों तक जल्द पहुंचाएं जकात और फितरे के पैसे : इमरोज़ अहमद
समाजसेवी युवा पंक्ति में गिने जाने वाले युवा समाजसेवी इमरोज अहमद ने कहा कि सदका ए फितर रमजान में अदा किया जाता है शरीयत ने मुसलमानों को दिया है कि जो मालदार मुसलमान हैं वो सदका ए फितर के पैसे ईद की नमाज से पहले उनके हकदार लोगों तक पहुंचा दें बीमारों को इस वक्त दवाई ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है ऐसे में जिस पर ज़कात फर्ज और सदका ए फितर वाज़िब है वो इस रकम को जरूरतमंदों तक पहुंचा दें युवा समाजसेवी इमरोज़ अहमद ने कहा कि इससे पहले लोग सदका ए चित्र की ईद की नमाज से पहले अदा करते थे मगर इस बार देश के हालात को देखते हुए अदा करने का यही सही समय है जकात मुसलमानों पर अल्लाह ने फर्जी है वही सदका ए फितर वाजीब किया है इमरोज़ अहमद उन्होंने कहा कि अक्सर लोग सदक़ा ए फितर को ज़कात समझ लेते हैं जबकि यह दोनों अलग-अलग है ज़कात कुल माल पर 2.5 प्रतिशत अदा करनी है वही सदका ए फितर 2 किलो 45 ग्राम गेंहू या इसकी बाजार मूल्य की कीमत गरीब विधवा बेसहारा यह यतीमो को अदा करनी होती है मौजूदा समय में 2 किलो 45 ग्राम गेहूं की कीमत लगभग 42 से 43 रुपए हैं इसकी कीमत बढ़ाकर तो दे सकते हैं लेकिन कम नहीं होनी चाहिए शहर में इसकी कीमत ₹50 तय की गई है युवा समाजसेवी इमरोज़ अहमद ने कहा कि मालदार मुसलमान जिसको अल्लाह ने मालो दौलत से नवाजा है वह जल्द से जल्द जकात और फितरा के पैसे उन लोगों तक पहुंचाएं जो इसके हकदार हैं और आपसब अपनी दुआ में इस मुल्क के लिए अमन और चैन की दुआ करते रहें अल्लाह हमसब को इस ववाई बीमारी से निजात अता फरमाए आमीन