जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान यही है गीता का ज्ञान : महन्त सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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पाप कर्म, झूठ, छल कपट, धोखाधड़ी से अपनो के लिए अर्जित किये हुए धन का भुगतान परलोक में खुद भुगतना पड़ता है : महन्त सर्वेश्वरी गिरि।
जब कर्मों का फल खुद भुगतना है तो फिर पाप कर्म दुसरो के लिए क्यों।
कुरुक्षेत्र पिहोवा :- राष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद की प्रदेशाध्यक्ष एवं श्री गोविन्दानंद आश्रम ठाकुरद्वारा पिहोवा की महन्त सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने आज सत्संग में श्रद्धालुओं को पाप कर्म करने वालो के बारे में जानकारी देते हुए एक वृतांत सुनाया की एक बार भगवान कृष्ण और अर्जुन भ्रमण पर निकले, वे भ्रमण पर लोगो के कार्य को देख रहे थे, तभी उनकी नजर एक हलवाई की दुकान पर पड़ी हलवाई ने पुराना बासी खाना दुकान के पास इकठ्ठा कर रखा था, उस खाने के ढेर को देख एक कुता बार-बार उसे खाने आ रहा था, लेकिन हलवाई उसे पत्थर मार कर भगा देता, कुता जोर-जोर से रोता और फिर खाने के लिए आता और फिर हलवाई उसे भगा देता।
यह देख कर अर्जुन को दुख हो रहा था, लेकिन कृष्ण हंस रहे थे, अर्जुन ने कृष्ण से उनके हंसने का कारण पुछा
तब कृष्ण ने कहा-अर्जुन यह दुकान एक नामी हलवाई की थी, उसने अपने इस काम से बहुत धन कमा या था, परंतु नौकर-चाकर और नात-रिश्तेदारों से गंदा बरताव करता था, वह सभी की बेइज्ज़ती करता था, यह कुत्ता वही नामी हलवाई है और इस दुकान का वर्तमान मालिक उसी का बेटा है, जो अपने पिता को पत्थर मार रहा है, जो भी इस कुते के साथ हो रहा है ये उसके पिछले जन्मों और इसके कर्मों का फल है। हम ये भूल जाते हैं कि जो हम देते हैं वहीं हमें वापस मिलता है।
महन्त सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने बताया कि गीता में यही तो लिखा है कि जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल का भुगतान करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि हमारे निवास व कार्यालय के आस पास जो भी जीव रहते है और हमारे पास आते है वो या तो हमारे पूर्वज है या हमारी पिछली योनि के सखा है जो हमसे प्यार भी जताते है और अपनी उदरपूर्ति के लिए हमसे उमीद भी रखते है ऐसे जीव को कभी भी दुत्कारना नही चाहिए बल्कि यथासंभव उनका ध्यान रखना,सेवा करनी चाहिए तभी हम मनुष्य कहलाने के अधिकारी है और तभी हमारा मनुष्ययोनि में जन्म लेना भी सार्थक होगा।