बिहार:विद्या की देवी मां सरस्वती पूजा जिले भर में सादगी से मनाई गई

विद्या की देवी मां सरस्वती पूजा जिले भर में सादगी से मनाई गई,
रविवार को शांतिपूर्ण तरीके से की गई मूर्ति विसर्जन
स्थानीय नदी व जलाशयों में मूर्ति विसर्जन किया गया
अररिया
जिले भर में विद्या की देवी मां सरस्वती पूजा सादगी के साथ मनाई जा रही है। इस बार लोग अपने घर परिसरों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सरस्वती पूजा सादगी के साथ मनाया गया। वहीं जिला मुख्यालय स्थित शिवपुरी मुहल्ले में भारती सेवा सदन ट्रस्ट कार्यालय परिसर में ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर रामनारायण भारती के नेतृत्व में विद्या की देवी मां सरस्वती पूजा सादगी से मनाई गई। इस दौरान भारती सेवा सदन ट्रस्ट के संस्थापक सह अध्यक्ष डॉक्टर रामनारायण भारती ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक इस बार सादे तरीके से सरस्वती पूजा मनाई गई । डीजे या किसी भी प्रकार का सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि इस बार सरस्वती पूजा में उत्साह कम देखा गया, क्योंकि करोना महामारी के इस दौर में लोगों के काम धंधे चौपट हो गए हैं और लोगों के जेब काफी खाली हो गए। चूंकि पूजा तो पूजा है, इसलिए यह ज्ञान और वाणी की देवी सरस्वती की पूजा का पवित्र पर्व माना गया है । बच्चों को इस दिन से बोलना या लिखना, सिखाना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती अपने हाथों से वीणा, पुस्तक व माला लिए अवतरित हुई थी। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में इस दिन लोग विद्या, बुद्धि और वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा आराधना करके अपने जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करने की कामना करते हैं । डॉक्टर रामनारायण भारती ने कहा कि यह पर्व जिले भर में सादगी से मनाई गई। माना जाता है कि यह दिन बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। शरद ऋतु की विदाई और बसंत के आगमन के साथ समस्त प्राणी जगत में नवजीवन एवं नव चेतना का संचार होता है। वातावरण में चारों ओर मादकता का संचार होने लगता है। प्रकृति के सौंदर्य में निखार आने लगता है । शरद ऋतु में वृक्षों के पुराने पत्ते सूख कर झड़ जाते हैं, लेकिन बसंत की शुरुआत के साथ ही पेड़ पौधों पर नई कोप्ले फूटने लगती हैं। चारों ओर रंग बिरंगे फूल खिल जाते हैं। धरती का वातावरण महकने लगता है। बसंत पंचमी के ही दिन होली का उत्सव भी आरंभ हो जाता है और इस दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा गया है। बसंत पंचमी को गंगा का अवतरण दिवस भी माना जाता है। डॉ राम नारायण भारती ने अंत में कहा कि विसर्जन के क्रम में जुलूस में शामिल होने वाले बाल भक्तों की संख्या यथासंभव सीमित रखने का भी निर्देश बच्चों को दिया। उन्होंने कहा कि एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाने के लिए एक दूसरे को स्पर्श करने से कोरोनावायरस फैलने का प्रबल संभावना रहती है, इसलिए कोई भी श्रद्धालु अबीर गुलाल एक दूसरे को ना लगाएं। रविवार को मूर्ति विसर्जन के दौरान भी कम ही मात्रा में लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि सरस्वती पूजा के पंडालों में सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड-19 के नियमों का पालन किया गया , एवं सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखते हुए पूजा को सादे रूप से संपन्न किया गया। विसर्जन के दौरान भी डीजे का उपयोग नहीं हुआ। इस मौके पर बच्चों में सौरभ कुमार, गौरव कुमार, राजा कुमार, सचिन कुमार, विशाल कुमार, सूरज शर्मा, अमर कुमार ,संतोष कुमार, नीरज कुमार, मनीष कुमार, नितीश कुमार ,चुन्नू कुमार, कोशिका कुमारी शामिल थे।
अररिया फोटो नंबर 1 पूजा अर्चना करते हुए भक्तजन व अन्य

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