गुड गवर्नेंस अवार्ड कुशलता का बेस्ट रिवार्ड,
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की सफलता के आसमान में बड़ी छलांग

गुड गवर्नेंस अवार्ड कुशलता का बेस्ट रिवार्ड,
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की सफलता के आसमान में बड़ी छलांग।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

राज नेहरू, कुलपति, श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, पलवल।

गुरुग्राम : यदि युवाओं को राष्ट्रीय सम्पदा माना जाए तो भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश है, किन्तु भारत की यह समृद्धि कौशल बिना अधूरी है। युवाओं में कौशल और व्यवसायिकता नहीं है तो वह सिर्फ भीड़ का हिस्सा कहलाएंगे। युवाओं को कौशल प्रदान कर राष्ट्रोपयोगी बनाने के उद्देश्य से श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है। यह देश का पहला कौशल विश्वविद्यालय है। बहुत कम समय में विश्वविद्यालय अपनी कार्यप्रणाली और उपलब्धियों के बल पर गुड गवर्नेंस अवार्ड के लिए चुना गया। यह श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के स्वर्णिम भविष्य का प्रतीक प्रतीत हो रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत परिवर्तन करने और उसे रोजगारपरक बनाने की दिशा में यह क्रांतिकारी शुरुआत है। सुशासन के मंत्र को आत्मसात करते हुए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने अपने लक्ष्यों को तेजी से अर्जित करना शुरू कर दिया है। परिणामस्वरूप सुशासन की दृष्टि से यह विश्वविद्यालय बहुत कम समय में देश के सामने एक मॉडल के रूप में उभर कर सामने आया है। तकनीक, कौशल और अन्वेषण के आधार पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय राष्ट्रीय फलक पर अलग पहचान बना चुका है।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने दोहरे शिक्षा मॉडल को तैयार किया है। यह पूरी तरह से अनोखी प्रणाली है, जिसमें पढ़ाई के साथ-साथ न केवल कमाई की जा सकती है, बल्कि नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई भी की जा सकती है। हम इंडस्ट्री और एजुकेशन को साथ -साथ लेकर आए। इतना ही नहीं ऑन द जॉब ट्रेनिंग की अवधारणा पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। देश के 72 नामचीन इंडस्ट्रीज के साथ विश्वविद्यालय का समन्वय है, जिनमें विद्यार्थी अपने कोर्स के दौरान ट्रेनिंग भी करते हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) की अवधारणा पर काम शुरू किया है, जिसमें अनुभव रखने वाले उन विद्यार्थियों को शैक्षणिक योग्यता प्रदान की जाएगी जो अपने हुनर के माध्यम से बहुत कुछ सीख चुके हैं, लेकिन उनके पास डिग्री नहीं । इसकी शुरुआत हो चुकी है। अब देश के किसी भी हिस्से में औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहे कर्मी श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के साथ जुड़कर डिग्री हासिल कर सकेंगे। इससे न केवल उनके व्यक्तित्व का विकास होगा, बल्कि उद्योग के उत्पादन और गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था में भी आने वाले दिनों में एक सकारात्मक प्रभाव देखा जा सकेगा। आरपीएल श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया गया एक ऐसा मॉडल है, जिसको देश के दूसरे विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान भी अपनाने को आतुर हैं। यह समय की मांग है। देश के युवा सिर्फ सरकारी नौकरियों के पीछे न भागें, बल्कि ऐसे स्टार्टअप भी खड़े करें जिससे न केवल खुद अच्छी खासी कमाई करें बल्कि दूसरों को भी रोजगार देने वाले बनें। इसीलिए श्री विश्वकर्मा कौशल विषय में एंटरप्रिन्योरशिप की शुरुआत की है। एंटरप्रिन्योरशिप हमारे देश में बेरोजगारी का कारगर समाधान है। इंटिग्रेशन को कौशल विश्वविद्यालय ने कामयाबी की परिपाटी बनाया है। उद्योग के साथ यह तालमेल विश्वविद्यालय को नित्य नए पायदान पर पहुंचा रहा है। इंडस्ट्री इंटीग्रेशन विश्वविद्यालय के लिए सफलता के मंत्र की तरह है। यह गुड गवर्नेंस की ही परिणति है।
इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी ने केजी से लेकर पीजी तक अनोखा मॉडल तैयार किया है, जिसमें इनोवेटिव फीडर स्कूल के माध्यम से स्किल कोर्सेज करवाए जा रहे हैं। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के प्रयास रंग ला रहे हैं। अब तक 65 फ़ीसदी से ज्यादा प्लेसमेंट इस बात का प्रमाण है । इसके अतिरिक्त बहुत से विद्यार्थी एंटरप्रिन्योर बनकर दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं। इंटर्नशिप और अप्रेंटिस के आधार पर विद्यार्थी उद्योग में दाखिल हो रहे हैं और इंडस्ट्री की तकनीकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने 2017 में हीरो मोटोकॉर्प और 60 छात्रों के सहयोग से दो व्यवसायिक कार्यक्रम शुरू किए थे लेकिन 2022 के आते-आते उद्योग और कारपोरेट संस्थानों की साझेदारी से 32 नियमित और 31 अल्पकालिक पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं । श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र में कई अनूठे प्रयोग किए हैं, जिसमें एकीकृत दोहरी शिक्षा मॉडल बहुत महत्वकांक्षी है और यह विद्यार्थियों में काफी लोकप्रिय भी हो रहा है । इसमें विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में इंटर्नशिप और अप्रेंटिस का भुगतान मासिक वजीफे के रूप में किया जाता है । ऑन द जॉब ट्रेनिंग में भी विद्यार्थी 5000 से ₹25000 प्रति माह तक अर्जित कर सकते हैं । यह सीखने के दौरान कमाई करने का एक अनूठा मॉडल है।
नई शिक्षा नीति के महत्वाकांक्षी आयामों को लागू करने में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय अगली पंक्ति में खड़ा है । इसी का परिणाम है की राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के अंतर्गत विश्वविद्यालय कई उपलब्धियां अर्जित कर रहा है। विश्वविद्यालय ने ऐसे 34 आयामों पर काम किया है, जो अलग-अलग पाठ्यक्रमों में शामिल होंगे । विश्वविद्यालय ने शॉर्ट टर्म स्किलिंग और इंटर्नशिप उद्योग संचालित मांग के आधार पर डिजाइन किए हैं । इसी के अंतर्गत विश्वविद्यालय शिक्षा की इस नई रोजगारपरक अवधारणा को राज्य के दूसरे संस्थानों तक ले जाने के लिए अब संबद्धता भी दे रहा है और इसके अंतर्गत हरियाणा के करीब आधा दर्जन संस्थान श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के साथ संबद्ध हो चुके हैं। विश्वविद्यालय मूल्यांकन और प्रमाणन के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व काम कर रहा है । इस कड़ी में दो वर्षों में एक लाख से भी ज्यादा विद्यार्थियों और युवाओं का एसेसमेंट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से विश्वविद्यालय ने 11 करोड़ 72 लाख रुपए अर्जित किए हैं। इतना ही नहीं श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय स्कूल शिक्षा बोर्ड, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, राज्य उद्योग विभाग, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, आयुष विभाग और कौशल विकास मिशन के साथ भी सक्रिय भागीदार के रूप में काम कर रहा है।हरियाणा सरकार तकनीक और कौशल के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी कदम उठा रही है, ताकि इंडस्ट्री की जरूरतों को पूरा कर उत्पादन और आर्थिकी को नए आयाम दिए जा सकें। रोजगार के नए सृजन हों और कौशल उसका आधार बने। इस दिशा में कौशल विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कल्पनाओं को मूर्त रूप दे रहा है ।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने 425 करोड रुपए की लागत से अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है । जिसमें कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल लैब, एडवांस इलेक्ट्रिकल लैब, मशीनिंग लैब भी शामिल हैं। इसके अलावा गवर्नेंस को सुदृढ़ बनाने की दिशा में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने ई ऑफिस की शुरुआत 2021 में की और विश्वविद्यालय का पूरा तंत्र डिजिटलाइज तरीके से काम कर रहा है। इससे लाखों रुपए का कागज बचा और कार्य में तीव्रता के साथ साथ पारदर्शिता का समावेश हुआ।
दरअसल विश्व एक नई औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर है। इसके लिए सबको तैयार होना होगा। सबसे ज्यादा युवाओं की आबादी वाले देश भारत के लिए यह और भी आवश्यक है। इसी के दृष्टिगत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया “कौशल, नवीन कौशल और अतिरिक्त कौशल”। 21वीं सदी उसी की होगी, जिसके पास कौशल होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल कौशल की अवधारणा को स्पष्ट किया, यद्यपि उसे मिशन के रूप में लिया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसी कड़ी में देश के पहले कौशल विश्वविद्यालय का सपना साकार किया। इस विश्वविद्यालय की स्थापना देश के उन असंख्य युवाओं के सपने साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिनमें उत्साह और ऊर्जा तो है लेकिन उन्हें कौशल की आवश्यकता थी। देश में बेशक बहुत से उच्च शिक्षण संस्थान खुल गए हों, लेकिन आज भी आधे विद्यार्थी उच्चतर शिक्षा तक नहीं पहुंचते और दाखिला लेते हैं तो कोर्स पूरा नही कर पाते। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार साल 2021-22 में हायर सेकेंडरी स्तर तक ग्रॉस इनरोलमेंट रेशो 57.6 प्रतिशत तक पहुंची। न केवल उच्चतर शिक्षा छोड़ने वालों की संख्या चौंकाने वाली है। जो युवा कॉलेज से पास आउट भी हैं, उनमें से 60 प्रतिशत नौकरी के लिए तैयार नहीं हैं। न उनमें कौशल है और न ही व्यवसायिक प्रशिक्षण, जिससे वह इंडस्ट्री की जरूरतों को पूरा कर सकें। विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय इस राष्ट्रीय समस्या के समाधान की दिशा में बड़ा कदम है। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय देश के जीईआर को बढ़ाने की दिशा में भी एक मॉडल है। गुड गवर्नेंस की दिशा में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने सारे वह कदम उठाए, जिनसे कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव देखने को मिले।
इसी का परिणाम है आज श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय गुड गवर्नेंस अवार्ड का अधिकारी बना है। यह विकास यात्रा एक शुरुआत है। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय राष्ट्रीय फलक पर एक मॉडल बनने के बाद वैश्विक परिदृश्य में भी दैदीप्यमान सूर्य की तरह चमकेगा। अंत में सुशासन के प्रवर्तक पूर्व प्रधानमंत्री भारत रतन स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को कोटिशः नमन।

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