उत्तराखंड में धर्मांतरण विरोधी कानून को राज्यपाल की मंजूरी, मिलेगी कड़ी सजा,

सागर मलिक

देहरादून: धर्मांतरण विरोधी संशोधन विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही राज्य में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया। औपचारिक नोटिफेशन के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। इसके साथ ही राज्य में जबरन धर्मांतरण संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आ जाएगा।

अपर सचिव विधायी महेश चंद्र कौशिवा ने गुरुवार को बताया कि राजभवन की मंजूरी के साथ विधेयक मिल गया है। इसके बाद अब आगे की कार्यवाही शुरू की जा रही है। सरकारी प्रेस से इसकी प्रतियों का प्रकाशन कराया जाएगा और पुराने कानून में बदलाव हो जाएगा।

प्रदेश सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में यह बिल लाई थी। जबरन कराए जाने वाले धर्मांतरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर राज्य में लंबे समय से मांग उठ रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस विधेयक पर शुरू से काफी गंभीर थे। विधानसभा में 29 नवंबर को सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक पेश किया। अगले दिन इसे पारित कर दिया गया।

उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पर राजभवन की मुहर के बाद अब जबरन धर्मांतरण के दोषी को 10 साल तक की सजा का रास्ता साफ हो गया है। जबरन धर्मांतरण की शिकायत कोई भी व्यक्ति कर सकता है। बिल में जबरन धर्मांतरण पर सख्त सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। धर्मांतरण को दो श्रेणियों में बांटा गया है। एकल धर्मांतरण के लिए सजा कम है, जबकि सामूहिक धर्मांतरण में ज्यादा सजा होगी। सामूहिक धर्मांतरण का दोष साबित होने पर दोषी को तीन से 10 वर्ष की सजा के साथ 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। एक व्यक्ति के धर्मांतरण पर दो से सात वर्ष की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

देश के 11 राज्यों में धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाया गया है। हरियाणा में बीते मंगलवार को ही यह कानून लागू किया गया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में भी जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

जबरन धर्मांतरण के आरोपी को तत्काल जमानत नहीं मिलेगी। वर्ष 2018 के धर्मांतरण कानून में आरेापियों की जमानत के मानक बेहद सरल थे। आरोपी को तत्काल ही जमानत मिल जाती थी। लेकिन अब इसे गैरजमानती बना दिया गया है।

विधेयक में स्वेच्छा से धर्मांतरण के लिए भी कुछ व्यवस्थाएं दी गईं हैं। यदि राज्य में कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो उसे डीएम को विधिवत सूचना देनी होगी। एक महीने के भीतर ही उसे अपनी अर्जी पेश करनी होगी। धर्म परिवर्तन करने की अर्जी देने के 21 दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को डीएम के समक्ष पेश होना पड़ेगा।

अपर सचिव (विधायी) महेश चंद्र कौशिवा ने कहा, ”विधानसभा से पारित उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिल गई है। राजभवन से विधेयक विधायी विभाग को भी मिल गया है। अब इसे प्रकाशन के लिए सरकारी प्रेस भेजा जाएगा। इसके बाद यह अधिनियम का रूप ले लेगा।”

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साग़र मलिक उतराखंड प्रभारी(वी वी न्यूज़)

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