हनुमान जी भारतीय सनातन संस्कृति में निःस्वार्थ सेवा एवं लोक मंगल की प्रतिमूर्ति है : डा.श्रीप्रकाश मिश्र

हनुमान जी भारतीय सनातन संस्कृति में निःस्वार्थ सेवा एवं लोक मंगल की प्रतिमूर्ति है : डा.श्रीप्रकाश मिश्र।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कैंसर पहाड़ी स्थित निरोगी हनुमान चित्रकूट धाम में मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की ग्वालियर इकाई द्वारा लोकमंगल यज्ञ एवं श्रीरामचरित मानस के सुन्दरकाण्ड पाठ कार्यक्रम संपन्न।

कुरुक्षेत्र 13 जून : हनुमानजी जितेन्द्रिय, ब्रह्मचारी, निस्वार्थ, निष्काम, निर्लोभ और निराभिमानी हैं. वह परम भक्त, श्री राम के अनन्य सेवक, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ और परोपकारी होने के साथ दुखी लोगों को कष्टों से मुक्ति दिलाते है. वह संकटमोचन, संकीर्ण, सभी रोग-शोक से मुक्त कराने वाले देवता हैं. अपने इन्ही गुणों की कारण हनुमान जी बहुत लोक प्रचलित और लोकप्रिय देवता हैं। हनुमान जी भारतीय सनातन संस्कृति में निःस्वार्थ सेवा एवं लोक मंगल की प्रतिमूर्ति है। यह विचार कैंसर पहाड़ी स्थित निरोगी हनुमान चित्रकूट धाम में मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की ग्वालियर इकाई द्वारा आयोजित लोकमंगल यज्ञ एवं श्रीरामचरित मानस के सुन्दरकाण्ड पाठ में कुरुक्षेत्र से आये मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र जो व्यक्त किये। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा श्री हनुमान एक ऐसे देवता हैं, जो जन-जन में बहुत लोकप्रिय हैं. हर कोई उन्हें अपने रक्षक के रूप में देखता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर गाँव और नगर में हनुमान जी के मंदिर जहाँ-तहाँ मिलते हैं। भारत ही नहीं नेपाल, मलेशिया, इंडोनेशिया, जापान, जावा सहित अनेक देशों में हनुमान जी बहुत लोकप्रिय हैं और उन्हें विभिन्न रूपों में पूजा जाता है। विश्व के किसी भी देश में जहाँ भारतवंशी सनातन रहते हैं, वहां हनुमान जी उनके जीवन के अभिन्न अंग हैं।वाल्मीकि रामायण में प्रत्यक्ष रूप से बहुत विस्तार से हनुमान जी के चरित्र का वर्णन मिलता है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा श्री राम कथा से संबंधित सभी काव्यों में हनुमान जी के चरित्र को बहुत उदात्त, उज्ज्वल, आदर्श और अनुकरणीय बताया गया है. उनके बहुत रूप हैं। वह श्री राम, सीता और लक्ष्मण के सेवक ही नहीं, बल्कि धीर, वीर और बुद्धिमानों में अग्रणी हैं। हनुमान जी की क्षमताओं को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। वह शतयोजन समुद्र को एक ही छलांग में लांघ जाते हैं। उस समय के सबसे बड़े आततायी रावण की लंका को नष्ट कर देते हैं। उसकी सभा में ही उसे निर्भीकता से फटकार लगाते हैं, उसके महाबली पुत्र इन्द्रजीत को मार डालते हैं। लक्ष्मण की जीवन-रक्षा के लिए हिमालय से रातों-रात संजीवनी बूटी वाला पर्वत लेकर आ जाते हैं और ऐसे अंसंख्य कार्य करते हैं, जो किसी साधारण व्यक्ति के वश की बात ही नहीं है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आज की युवा पीढ़ी उचित मार्गदर्शन के अभाव में अनेक समस्याओ से ग्रसित है।आज के प्रतिस्पर्धा के युग में तमाम युवा अवसाद एवं कुंठा से ग्रसित है। ऐसे में हनुमान जी आज के युवा पीढ़ी के समस्त समस्याओ के न केवल समाधान है बल्कि आदर्श भी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कैंसर पहाड़ी स्थित निरोगी हनुमान चित्रकूट के महंत संत सुशील शर्मा ने की। समस्त वैदिक पूजन एवं यज्ञ अनिल शास्त्री जी ने संपन्न कराया। कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के मध्यप्रदेश संयोजक अशोक शर्मा, संयोजक मंडल के सदस्य रामहेत शर्मा, उद्योगपति राकेश शर्मा, आर. के. गुप्ता सहित अनेक गणमान्य जन एवं हनुमत भक्त उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समान सर्व मंगल प्रार्थना से हुआ।

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