देहरादून: देश और दुनिया में #उत्तराखंड के पुरुष की पहचान एक पराक्रमी पुरुषार्थी, आत्मा स्वाभिमानी, देशभक्त के रूप में होती हैं, मगर आप पार्टी के प्रवक्ता कहते हैं कि दिल्ली में उत्तराखंड के लोगों को घरेलू नौकर, चौकीदार ज्यादा से ज्यादा ड्राइवर के रूप में पहचाना जाता है। उनको विक्टोरिया क्रॉस से लेकर परमवीर चक्र से जुड़ी हुई हमारी पहचान का आभास नहीं है। अब #भाजपा, महिलाओं के लिए #घसियारी_संबोधन पर इतरा रही है। जियारानी से लेकर तीलू रौतेली तक वीरांगना के रूप में और संघर्ष की प्रतीक गौरा देवी और एवरेस्ट को सरलता से चढ़ जाने वाली बछेंद्री पाल के रूप में हमारी माँ-बहनों की पहचान का भाजपा को एहसास नहीं है। आज कौन सा देश का ऐसा क्षेत्र है जहां उत्तराखंड की महिलाएं अपनी प्रतिभा और साहस से अपना झंडा नहीं गाड़ रही हैं! #हॉकी में खिलाड़ी वंदना कटारिया, #पर्वतारोही के रुप में तांग्सी-नुंग्शी, महिला #क्रिकेट टीम में एकता बिष्ट, मानसी जोशी, स्नेह राणा, श्वेता वर्मा, भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी कुहू गर्ग, हमारी बेटियां ओलंपिक्स एवं सिविल सेवा आदि में अपनी प्रतिभा से देश व राज्य का नाम रोशन कर रही हैं।
मेडिकल कोर के कमांडर हो या वायु सेना के फाइटर को उड़ाने वाली हमारी #बेटियों की पहचान, भाजपा को नहीं दिखाई दी है। इसलिए वो हमारी माँ-बहनों को घसियारी शब्द देना चाहती है। मेरी माँ-बहनें एक सुगढ़ गृहणी रही हैं। मगर वो कभी भी घसियारी नहीं रही, समाज ने उनको कभी भी घसियारी शब्द संबोधन नहीं दिया और भाजपा अब #घसियारी शब्द का संबोधन खोज कर अपनी पीठ ठोक रही है।
#भाजपाइयों हमारी मां-बहनों की पहचान जियारानी व तीलू रौतेली और गोरादेवी हैं।
हरीश रावत पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड