हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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डाक्टरों ने भगवान के देवदूत बनकर किया उनका इलाज।
पाजिविटी सोच के साथ आसानी से दी जा सकती है कोरोना को मात।
कुरुक्षेत्र 20 मई :- लगातार 35 दिन वेंटिलेटर पर रहकर कोरोना को हराने के बाद दिल्ली निवासी मीनू चौहान अब ठीक हो चुकी है। लेकिन अपने इन 35 दिनों की कहानी अपनी जुबानी सुनाते हुए मीनू चौहान ने कहा कि कई बार तो ऐसे लगने लगा था कि अब वह जीवित नहीं रहेंगी, बार-बार सांसों का उखडऩा, शरीर में कमजोरी के साथ-साथ मन में आने वाले नाकारात्मक विचारों से वह पूरी तरह टूट चुकी थी। लेकिन परिवार के सदस्यों और भगवान रुपी डाक्टरों की हौसलाफजाई ने उनमें एक नई उर्जा का संचार किया और उन्होंने मन में ठान ली की वह कोरोना को जरुरी हराएंगी। इसी दृद्घ निश्चय के साथ वह 35 दिनों बाद वेंटिलेटर से अब सामान्य वार्ड में आ गई है।
दिल्ली निवासी मीनू ने अपने मन की बात का सांझा करते हुए कहा कि अब वह ठीक है, हालांकि अभी सहज होने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन उनके पति रोहित चौहान और डाक्टर रुपी देवदूतों के प्रयासों और साकारात्मक बातों से वह खुद को स्वस्थ महसूस कर रही है। इस दौरान उनके पति ने उनकर काफी सेवा की और इसके साथ अपनी दो बेटियों को भी सम्भाला, अस्पताल में इतने दिनों से यह भी पता नहीं चल रहा था की कब दिन निकल रहा है और कब रात हो रही है। इस संकट की घड़ी में डाक्टर भगवान के देवदूत बनकर उनका इलाज करने के साथ-साथ उन्हें मोटिवेट कर रहे थे, इन अथक प्रयासों से ही वह खुद को मजबुत बना पाई और कोरोना को हराने में सफलता मिली।
उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार सहित दिल्ली में रहती है और कुरुक्षेत्र में उनका मायका है। उनकी छोटी बेटी अपने नाना-नानी से मिलने कुरुक्षेत्र आई हुई थी। जब लॉकडाउन लगने की आशंका हुई तो वह अपनी बेटी को लेने कुरुक्षेत्र आ गई। अचानक 3 अप्रैल को उन्हें बुखार व खांसी हुई और जल्द ही तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। हालात ज्यादा बिगडऩे पर आरोग्यम अस्पताल में उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा और वह लगातार 35 दिनों तक वेंटिलेटर पर रही। उनका ऑक्सीजन लेवल 70 पर था, फेफड़ों में संक्रमण काफी फैल चुका था, सिटी स्कैन स्कोर 20 पर आ गया था। अब उन्हें अस्पताल से भी छुटी मिल गई है। फिलहाल वे माता-पिता के घर ही रहेंगी। उन्होंने आमजन से अपील भी करते हुए कहा कि कोरोना होने पर अपने मन में किसी भी प्रकार के नाकारात्मक विचारों का ना आने दे बल्कि हमेशा साकारात्मक सोचे और खुद को खुश रखने का प्रयास करे। इन प्रयासों से कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है।