हरियाणा।गीता पाठ ने दी मन को सबलता तो आसानी से दी कोरोना को मात, पिहोवा के राजेंद्र चोपड़ा ने सांझा करे अनुभव।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

गीता पाठ से मिली आलौकिक ऊर्जा।
दृढ़ संकल्प से हारेगा कोरोना।
बिस्तर पर भी सुबह शाम किया योग।

कुरुक्षेत्र 19 मई :- उनको हलका सा बुखार था, साथ में खांसी होने लगी, उन्हें शक हुआ कि कहीं कोरोना ना हो गया हो, ऐसे में बिना समय गंवाए उन्होंने अपना कोविड टेस्ट कराया। अगले दिन रिपोर्ट मिली तो देखा रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। एक बार मन में अजीब सी घबराहट हुई, क्योंकि घर पर पत्नी और वे ही रहते है। उनका एक बेटा आस्ट्रेलिया और दूसरा बेटा न्यूजीलेंड में रहता है। बेटों के बाहर होने के कारण कुछ टेंशन हुई कि अगर तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो कैसे घर संभलेगा। ऐसे में उन्हें पवित्र ग्रंथ गीता से प्रेरणा मिली।
पिहोवाी निवासी राजेन्द्र चौपड़ा ने कोरोना को हराने के बाद अपने मन की बात को सांझा करते हुए कहा कि जब कोरोना पाजिटिव हुए तो मन में अजीब सा डर घर कर गया, अचानक तबीयत ओर ज्यादा खराब हो गई तो अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ा, सांस लेने में दिक्कत हुई और बुखार भी लगातार बढऩे लगा। इसी दौरान धर्मपत्नी सुषमा की तबीयत भी खराब हो गई और उनका कोविड टेस्ट भी पाजिटिव आया और उनको भी अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, दोनों अस्पताल में थे और घर को ताला लगाना पड़ा, विदेश में रह रहे बच्चों को भी उनकी चिंता होने लगी। लेकिन फिर पवित्र ग्रंथ गीता में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गया संदेश मन में आया, तो उन्होंने सोचा पवित्र ग्रंथ गीता के संदेश को सुनने से विषाद से ग्रस्त अर्जुन को नए ज्ञान की प्राप्ति हुई तो इस ग्रंथ का नियमित पढऩे से उनके शरीर में मौजूद इस वायरस को भी हराया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि वे श्रीकृष्ण परिवार से जुड़े हुए है। उन्होंने प्रतिदिन गीता का पाठ करना शुरु किया। इस दौरान गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज से गीता की व्याख्या सुना, पवित्र ग्रंथ गीता के नियमित पाठ ने उन्हें भी मजबूती दी। इस दौरान उन्होंने नियमित रुप से योगा किया, अस्पताल में बिस्तर पर लेटे-लेटे भी प्राणायम किया। इससे उन्हें आक्सीजन स्पोर्ट की ज्यादा जरुरत नहीं पड़ी और आक्सीजन लेवल सामान्य ही रहा। मन में यही सोच रही की जल्द स्वस्थ होकर श्रीकृष्ण परिवार के साथ सेवा कार्यों में दोबारा जुटना है।
उन्होंने कहा कि उनके बिमार होने का जब उनके बेटों को पता चला तो उन्हें भी चिंता हुई। लेकिन उन्होंने अपने दोनों बेटों को भी हौंसला दिया और उन्हें अपनी मां को हौंसला देने के लिए प्रेरित किया। दोनो बेटों प्रतिदिन दिन में कई बार मां से वीडिया काल के जरिए बात करते रहे और उन्हें खुद को मजबूत रखने के लिए प्रेरित करते रहे। इससे उनकी धर्मपत्नी ने भी जल्दी से रिकवरी करनी शुरु कर दी। अब स्वयं व मेरी धर्मपत्नी कोरोना को हराकर स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके है। इसलिए सभी से यह अपील भी करते है कि कोरोना होने पर बिल्कुल न घबराएं बल्कि मजबुती से योग, प्राणायाम और कोविड के सभी नियमों की पालना कर इस वायरस की जंग को जीतने के लिए लड़ाई लड़े। मन की मजबुती से ही इस वायरस को आसानी से हराया जा सकता है।

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