हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र :- सांसें हो रही हैं कम, आओ पेड़ लगाएं हम, यह कथन भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश महामंत्री व पूर्व विधायक डॉ. पवन सैनी ने अन्तराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस व राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस के उपलक्ष्य में वसुधैव कुटुंबकम संस्कृति सेवा आयाम के तत्वावधान में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में कहे। मुख्यातिथि डॉ. पवन सैनी ने कार्यकम संयोजक एवं जीवविज्ञान प्राध्यापक डॉ. तरसेम कौशिक, शिक्षक तालमेल कमेटी कुरुक्षेत्र के संयोजक अतुल शास्त्री, इतिहास प्राध्यापक राजेश सैनी तथा एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर डॉ. केवल कृष्ण के साथ अर्बन एस्टेट सेक्टर 4 के सामुदायिक पार्क संख्या 6 में नीम, अर्जुन, आंवला तथा कदम्ब के पौधे रोपित किए। मुख्यातिथि डॉ. पवन सैनी ने पोधों की महत्ता बताते हुए कहा कि पौधे हमें जीवन पर्यंत जीवनदायिनी प्राणवायु प्रदान करते है।उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना ने पेड़ों की महत्ता से हमें भलीभांति परिचित करवा दिया है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के पास मनुष्य की हर समस्या का समाधान है। यदि मनुष्य अपने पर्यावरण को संरक्षित व संवर्धित करेगा तो पर्यावरण भी हमे पोषित करेगा। कार्यक्रम संयोजक डॉ. तरसेम कौशिक ने मुख्यातिथि डॉ पवन सैनी का अभिनंदन किया तथा उनसे आग्रह किया कि गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी कुरुक्षेत्र को हरा भरा बनाने की मुहिम में आपका सहयोग अपेक्षित रहेगा। मुख्यातिथि डॉ. पवन सैनी ने कहा कि हमें समाज को जागरूक करते हुए जैवविविधता व लुप्तप्राय: प्रजातियों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में काम करना चाहिए तथा जितना हो सके पौधारोपण कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता करनी चाहिए। प्रकति कभी जल्दबाजी नहीं करती अपितु धीरे धीरे समय लेकर सभी प्राणियों का पोषण करती है। ज्ञात हो कि राष्ट्रीय लुप्तप्राय: प्रजाति दिवस प्रत्येक वर्ष मई के तीसरे शुक्रवार को मनाया जाता है अतः इस वर्ष यह 21 मई 2021 को है। इस दिन हम समीक्षा करते हैं कि कितनी प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं तथा कैसे जलवायु परिवर्तन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर रहा है।कार्यक्रम संयोजक डॉ तरसेम कौशिक ने अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस व राष्ट्रीय लुप्तप्राय: प्रजाति दिवस के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए बताया कि हम प्रकृति के समाधान का हिस्सा हैं अर्थात पौधे व वन्य जीव मिलकर स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। प्रजातियों का लुप्तप्राय: होना इंगित करता है कि हमारा पारिस्थितिकी तंत्र असन्तुलित है। अतः किसी एक प्रजाति का लुप्त होना अन्य प्रजातियों के लुप्तप्राय: होने का संकेत करता है।