दिन में एक बार भोजन करने वाला मनुष्य होता है महायोगी : बंडारू दत्तात्रेय।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : आयुर्वेद की सबसे मुख्य विधा नाड़ी विज्ञान है। जिसे जांच कर हमारे ऋषि-मूनी रोगी के रोग का कारण बता देते थे। दरअसल आयुर्वद सम्पूर्ण विज्ञान है। जिसे भारत देश के ऋषि- मुनियों और वैज्ञानिकों ने समय-समय पर साबित भी किया है। ये बातें राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा रविवार को राष्ट्रीय आयुर्वेद परिषद, श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय एवं एनआईटी कुरुक्षेत्र द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला एवं संगोष्ठी के समापन अवसर पर भावी चिकित्सकों और डॉक्टरों को संबोधित करते हुए कही। इससे पहले राज्यपाल द्वारा भगवान धन्वंतरि के चित्र पर पुष्प अर्पित किये और दीप प्रज्जवलित किया गया। आयुष विश्वविद्याय के कुलति डॉ. बलदेव कुमार ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का पुष्प गुच्छ व भागवत गीता देकर स्वागत व अभिनंदन किया। राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद में रोग के परीक्षण के लिए अष्टविध परीक्षा का वर्णन किया गया है। इनमें से नाड़ी एक है जिसके माध्यम से रोगी के रोगों एवं प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। आधुनिक विज्ञान ने मनुष्य को बहुत सारी सुविधाओं से सुसज्जित किया है। मगर उसके साथ बीमारियां भी बढ़ी हैं। हजारों लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। मोटापे से बचने के लिए एक मूल मंत्र है। जो दिन में तीन बार खाता है वह महाभोगी है, दो बार खाने वाला भोगी और दिन में एक बार खाने वाला महायोगी कहलाता है। आयुर्वेद भारत की पहचान है। कोविड महामारी के दौर में हजारों लोगों को संजीवनी देने का काम आयुर्वेद काड़े ने किया है। आयुष विभाग ने हजारों लोगों को कोविड काल में सस्ती दरों पर आयुर्वेदिक दवाएं वितरित की। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बातों पर विशेष बल देते हैं इनोवेशन, टेक्नोलॉजी और रिसर्ज। आयुर्वेद के विद्यार्थियों को शोध पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है तभी आयुर्वेद में नए आयाम स्थापित होंगे और आयुर्वेद विश्व स्तर स्तर पर स्थापित होगा। केंद्र सरकार द्वारा इस दिशा में काम किये भी जा रहे हैं। वहीं हरियाणा सरकार द्वारा 17 जिलों में पंचकर्म केंद्र खोले गए हैं। आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। जो एक सराहनीय कार्य है। विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. गोविंद सहाय शुक्ला ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि महर्षि चरक द्वारा कहा गया है कि जो व्यक्ति आयुर्वेद के अनुसार आहार-विहार का पालन करता है वह सौ वर्षों तक जीवित रहता है। कार्यक्रम के अंत में आयुष विवि के कुलसचिव नरेश कुमार ने आए हुए सभी गणमान्यों, आयोजक टीम व सहभागियों का धन्यवाद प्रकट किया। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. सोमनाथ सचदेवा, एनआईटी कुरुक्षेत्र के निदेशक प्रो. बी.वी. रमना रेड्डी व विश्व आयुर्वेद परिषद के संगठन सचिव, वैद्य योगेश मिश्रा, राष्ट्रीय महासचिव, प्रो. अश्वनी भार्गव, हरियाणा प्रांत के अध्यक्ष, मुकेश अग्रवाल, सह संगठन सचिव, वैद्य के.के. द्विवेदी,आयोजन समिति के सदस्य डॉ. ऋषि राज वशिष्ठ, डॉ. पुष्कर वशिष्ठ और संजय जाखड़ भी मौजूद रहे।