नाड़ी गुरु संजय छाजेड़ ने सिखाए नाड़ी परीक्षण के गुर।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : एनआईटी कुरुक्षेत्र के जुबली हॉल में शनिवार को दो दिवसीय नाड़ी परीक्षण राष्ट्रीय कार्यशाला व संगोष्ठी में शनिवार को नाड़ी गुरु संजय छाजेड़ ने आयुर्वेद के स्नातक, स्नातकोत्तर और प्राइवेट प्रैक्टिशनर को नाड़ी परीक्षण के गुरु दिए। इस दो दिवसीय कार्यशाला में देशभर के 27 महाविद्यालयों से 543 अभ्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। यह कार्यशाला दो चरणों में चल रही है। जिसमें विद्यार्थियों की कैरियर काउंसलिंग भी की जाएगी। नाड़ी विशेषज्ञ संजय छाजेड़ ने भावी चिकित्सकों को नाड़ी जांच की बारीकियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नाड़ी परीक्षण करना सीखें इससे पहले विद्यार्थियों को नाड़ी जांच करना आना चाहिए। नाड़ी परीक्षण मनुष्य की वात, पित्त और कफ से जुड़ा मामला है। ये वात, पित्त और कफ हमारे आहार से बनते हैं। व्यक्ति जो खाता है उसका आधा मल रूप में और आधा ऊर्जा रूप में प्रयोग होता है। जब तक दोष ऊर्जा रूप में है। तभी नाड़ी परीक्षण संभव है। उन्होंने कहा की आधुनिक वॉच गैलिलियों ने बनाई जो नाड़ी परीक्षण के माध्यम से ही बनी है। नाड़ी के पांच स्तर होते हैं, कोन-कोन की सी जगह पर जाना चाहिए और क्या महसूस होता है। उसके बाद ही निदान प्रक्रिया में जाना चाहिए।