हसेरन
सुदामा चरित्र की कथा सुनकर भक्तों को किया भाव विभोर
जिला संवाददाता प्रशांत कुमार त्रिवेदी के साथ कु देवेंद्र सिंह
विकासखंड हसेरन क्षेत्र के बिलंदपुर ग्राम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर आचार्य विजय शंकर शास्त्री सरस कथा वाचक द्वारा सुदामा चरित की कथा सुनाकर भक्तों को भावविभोर कर दिया व्यास जी ने व्यास पीठ पर अपनी मधुर वाणी से सुदामा चरित्र की कथा का मनोहर वर्णन किया उन्होंने बताया कि हरि अनंत हरि कथा अनंता रघु की कथा का कोई अंत नहीं है यह कथा तो अनंत चलने वाली है एक बार की बात पर सुदामा और कृष्ण गुरुकुल में रहकर पढ़ते थे सुदामा एक ज्ञानी पुरुष थे एक बार गुरु माता ने आदेश दिया कि जाओ भोजन के लिए लकड़ी ले आओ कन्हैया और सुदामा के साथ बन में लकड़ी लेने चले गए वहीं गुरु माता ने भूख लगने पर कुछ ने दिए थे सुदामा जी सब कुछ जानते थे यदि हमारे कन्हैया ग्रहण करेंगे तो दरिद्रता को अपनाएंगे कड़ाके की सर्दी को देखकर सुदामा ने झूठ बोलकर के नीचे वाली है एक सच्चे मित्र के लिए सुदामा ने मित्रता निभाते हुए दरिद्रता को अपनाया व्यास जी ने सुदामा कृष्ण की मित्रता का वर्णन विस्तार से किया एक बार सुदामा द्वारकाधीश कृष्ण से मिलने पहुंचे वहां के द्वारपाल ने अंदर जाने से मना कर दिया सुदामा जी हताश होकर वापस जाने लगे जैसे ही कृष्ण को पता लगा कि हमारी बचपन के सखा मित्र सुदामा हमारे द्वार पर आए हैं वह सब कुछ भूल बैठे नंगे पांव छोड़कर अपने बचपन सका को गले लगा लिया यह सब देखकर द्वारकाधीश के लोग अचंभित रह गए तथा के अंतिम दिन व्यास जी का फूल माला से स्वागत किया गया कथा प्रांगण में सैकड़ों की संख्या में माताएं बहने बुजुर्ग शामिल रहे