बिहार:लोगों की मदद करने से मिलती है शांति : रविन्द्र

  • मध्य रात्रि वृद्ध महिला को अपने घर लाकर बचाई जान
  • बस स्टैंड पर बूढ़ी औरत को उसके दामाद ने ही छोड़कर हुआ फरार
  • वृद्ध लोगों की मदद के लिए हमेशा रहते हैं तैयार

पूर्णिया संवाददाता

मध्य रात्रि के 12 बजे अचानक रविन्द्र कुमार साह के फोन की घंटी बजती है। किसी अनजान व्यक्ति ने फोन पर बताया कि इतनी रात के समय शहर के बस स्टैंड के पास एक वृद्ध महिला अकेली बैठी है। इसकी कोई खोज खबर लेने वाला नजर नहीं आ रहा। इतना सुनते ही रविन्द्र कुमार साह ने अपनी गाड़ी निकाली और पहुंच गए बस स्टैंड। वहां पहुँचकर उसने देखा कि एक महिला जिसकी उम्र तकरीबन 85 वर्ष से अधिक है बस स्टैंड पर बिल्कुल परेशान अवस्था में अकेली बैठी है। उन्होंने उसे उठाया और उनसे उनकी जानकारी पूछी लेकिन वृद्ध महिला किसी तरह की जानकारी देने की अवस्था में नहीं थी। रविन्द्र कुमार साह ने उसे बस स्टैंड से उठाकर अपनी गाड़ी में बैठाया और अपने घर लेकर आ गए। घर लाकर उन्होंने महिला को खाना खिलाया और अपने घर में ही बिस्तर पर सुला दिया। सुबह उठकर उसने महिला से उनकी जानकारी ली तो उनका दिल दहल उठा।

बूढ़ी महिला ने बताया कि उनका घर दुमका में पड़ता है। कल शाम में वह अपने दामाद के साथ अपने घर के लिए निकली थी। उसके दामाद ने उसे बस स्टैंड पर लाकर बैठाया था और कुछ सामान लाने का कहकर चला गया और फिर वापस नहीं लौटा। वह महिला मध्य रात्रि तक अपने दामाद का इंतजार कर रही थी।

रविन्द्र कुमार साह ने बताया उनकी बातें सुनकर मेरा दिल सुन्न हो गया। कैसे कोई व्यक्ति अपने परिवार के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य अपने माता-पिता को ही ऐसी अवस्था में छोड़कर चले जाते हैं। वह महिला इतनी बूढ़ी और परेशान थी कि उसे अपना नाम तक याद नहीं आ रहा था।

रविन्द्र कुमार साह ने कहा कि सुबह महिला को अपने घर खाना खिलाने के बाद मैंने समाजसेवी हेना सईद को इसकी जानकारी दी। फिर उसने मेरे घर आकर बूढ़ी महिला के स्वास्थ्य की जानकारी ली। इसके बाद हेना सईद की मदद से मैंने वृद्ध महिला की स्वास्थ्य जांच करवाई और फिर उसे पूर्णिया सिटी स्थित सहारा वृद्धाश्रम तक पहुँचाया।

रविन्द्र कुमार साह ने कहा बूढ़े लोग भी आपके अपने होते हैं जिसके कारण आप इस दुनियां में उपस्थित हैं। उनके आशीर्वाद से ही आप अपने मुकाम हासिल करने में सफल रहिएगा। इसलिए ऐसे लोगों की कभी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। पूर्णिया सहारा वृद्धाश्रम में ऐसे बहुत से बूढ़े हैं जिसे उनके ही घरवालों ने बाहर निकाल दिया है। मैं अन्य समाजसेवी हेना सईद के साथ जितना हो सके उनलोगों की मदद करने का प्रयास करता हूँ। मैं उन्हें उनके घर तो नहीं पहुंचा सकता लेकिन समय समय पर वृद्धाश्रम में ही खाने-पहनने में उनकी मदद करने का प्रयास करता हूं। अन्य लोगों को भी ऐसों की मदद करनी चाहिए। ऐसे लोगों की मदद करने से लोगों को असीम शांति मिल सकेगी।

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