छिपाएं नहीं बताएं टीबी रोग से मुक्ति पाएं: टीबी चैंपियन
✍️ दिव्या बाजपेई
कन्नौज । टीबी घातक संक्रामक रोग है।जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होता है।यह रोग नाखून वह बाल छोड़ शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। लेकिन इससे डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। इसमें हर व्यक्ति को सहयोगी बनना होगा। तभी हम 2025 तक टीबी मुक्त भारत का सपना साकार कर कर सकते हैं। ऐसा ही संदेश दे रहे हैं जिले में टीबी चैम्पियन। जो पहले खुद टीबी से ग्रसित थे।लेकिन समय से जांच और नियमित इलाज से वह टीबी मुक्त हुए।
टीबी चैंपियन चाहते हैं कि कोई भी व्यक्ति टीबी रोग की गिरफ्त में न आएं। जो इससे ग्रसित उन्हें जल्द इससे मुक्ति मिले। इसी भावना के साथ वह लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक कर रहे हैं। ऐसी ही कहानी है कन्नौज के मोहल्ला सिपाही ठाकुर की रहने वाली 25 वर्षीय शालू की। शालू बताती हैं कि यह सब दो साल पहले हुआ। मुझे अचानक खांसी आने लगी। मुझे लगा कि यह साधारण सी बात है। निजी अस्पताल में इलाज के लिए गई चिकित्सक ने कुछ दवाइयां व खांसी का सिरप दे दिया। धीरे-धीरे बीस दिन बीत गए लेकिन मुझमें कोई सुधार नहीं हुआ। मैं दोबारा उसी चिकित्सक के पास गई। तो उन्होंने मुझे टीबी की जांच कराने की सलाह दी। उनकी सलाह पर मैंने सरकारी अस्पताल जाकर जांच कराई तो टीबी रोग की पुष्टि हुई। मैं चौक गई। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं कैसे संक्रमित हो गई।वहां के चिकित्सकों ने समझाया कि टीबी हवा के माध्यम से एक से दूसरे में फैलता है और यह रोग किसी को भी हो सकता है । चिकित्सकों की राय पर मैंने तुरंत ही टीबी का इलाज शुरू किया। इलाज के साथ-साथ मुझे बहुत अच्छी तरह से परामर्श मिल रहा था। मैं टीबी रोग के बारे में बहुत कुछ सीख भी रही थी। तभी कुछ समय बाद मेरी छोटी बहन लता उम्र 22 वर्ष को भी यही लक्षण हो गए । वह भी कमजोरी महसूस करने लगी और खांसी भी ठीक नहीं हो रही थी। उसकी जांच कराई तो वह भी टी.बी.रोग से ग्रसित निकली। तुरन्त ही उसका भी उपचार शुरू हुआ। इस दौरान मुझे पता चला कि टीबी का इलाज संभव है और इसे रोका जा सकता है। बस जरूरत है रोग के प्रति जागरूकता समय से जांच और चिकित्सक के अनुसार नियमित इलाज की। अब वह एवं उनकी बहन दोनों पूरी तरह से स्वस्थ है। और सामान्य जीवन जी रहे है। यह सब सरकारी अस्पताल में हुए नि:शुल्क इलाज, चिकित्सकों की सलाह, दवाओं का नियमित सेवन, परहेज़ के साथ पौष्टिक आहार के सेवन का नतीजा है। उन्होंने बताया कि जब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हो गई। तो मैंने टीबी चैंपियन के रूप में काम करने का फैसला लिया। मैं समय-समय पर टीबी रोगियों के घर जाकर उनकी मदद करती हूं।उन्हें पौष्टिक आहार के महत्त्व, नियत दवाइयों के सेवन के लिए प्रेरित करती हूं। उन्हें बताती हूं कि किसी भी हाल में दवा बीच में नहीं छोड़े नहीं तो यह लोग गंभीर रूप ले सकता है। ऐसी स्थिति में इलाज भी लंबा चल सकता है। इसके अलावा महिलाओं को टीबी रोग के इलाज, इससे बचाव के लिए क्या सावधानियां बरतें इस बारे में जानकारी देती रहती हूं। जिला क्षय रोग अधिकारी आर.वी.सिंह ने बताया कि टीवी चैंपियन वह लोग हैं जो पहले टीबी रोग से ग्रसित थे। लेकिन अपनी सजगता, समय से जांच व नियमित इलाज से इस रोग को मात दे चुके है। जिले में चयनित 28 टीबी चैंपियन इस रोग से पीड़ित लोगों में जागरूकता लाने के साथ ही अपने अनुभवों को लोगों के साथ साझा करते है। क्षय रोग उन्मूलन अभियान में टीवी चैंपियन बहुत सहयोगी है। उन्होंने बताया कि जिले में इस समय लगभग 1803 टीबी रोगी पंजीकृत है। इनमें से 91 रोगी एमडीआर टीबी से ग्रसित है।
इन बातों का रखें ख्याल
- लगातार खांसी, कमजोरी, अचानक वजन घटाना, रात में पसीना आना आदि लक्षण होने पर बलगम की जांच कराएं।
- घरों में साफ-सफाई रखें। बीमार व्यक्ति मुंह पर मास्क या रुमाल लगाकर चले।
- यदि बीमारी से ग्रसित हो जाए तो जब तक डॉक्टर न कहें दवा का सेवन न छोड़ें।
- इलाज के दौरान खूब पौष्टिक खाना जैसे सोयाबीन,दालें मछली,अंडा,फल पनीर खुब खाएं और व्यायाम करें।
-भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज़ करें।