अलंकरण सम्मान समारोह में बोले महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

विद्यार्थी अपने अंदर हीन भावना न आने दें
निरन्तर परिश्रम व लगन के बल पर ही हमारे देश के अनेक महापुरुष विश्व में प्रसिद्ध हुए
महामहिम राज्यपाल ने कहा प्रत्येक व्यक्ति को अपनी उन्नति से ही संतुष्ट न होकर, सबकी उन्नति में ही अपनी उन्नति समझनी चाहिए।
गुरुकुल के निदेशक ब्रिगेडियर डाॅ. प्रवीण कुमार ने अलंकरण समारोह में विद्यार्थियों को दिलाई कत्र्तव्य पालन की शपथ।

कुरुक्षेत्र, 09 मई : गुरुकुल कुरुक्षेत्र प्रांगण में आयोजित अलंकरण समारोह में गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्य अतिथि के रूप में पधारे। इस सुअवसर पर निदेशक महोदय श्री प्रवीण कुमार ने एन.डी.ए, सदनीय विद्यार्थियों और गुरुकुल के विभिन्न प्रकल्पों जैसे भोजनालय, खेल के मैदान, छात्रावास, विद्यालय के अन्तर्गत आने वाले विभिन्न कार्यों के प्रति विद्यार्थियों को शथल दिलाई ताकि वे सौंपे गये कार्यों तथा कत्र्तव्यों का भली प्रकार से निर्वहन करें। मंच का सफल संचालन मुख्य संरक्षक संजीव आर्य द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि समाज, देश, परिवार तभी आगे बढ़ता है जब वह नियमों और सिद्धान्तों का पालनप करें। उन्होंने कि समुद्री जहाज हर सुविधाओं से युक्त होता है परन्तु यदि उसमें छोटा-सा भी छेद हो जाए तो वह पतन की ओर अग्रसर हो जाता है, उसी प्रकार हमारे गुरुकुल में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी यदि नियमों, संस्कारों, अनुशासन की अवहेलना करेगा तो वह पतन की ओर अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि आलसी व्यक्ति बिना किसी उद्देश्य से पूरा जीवन व्यतीत कर देता है, उसका कोई लक्ष्य नहीं होता परन्तु मेहनत करने वाला व्यक्ति समाज में अलग पहचान बनाता है। जो विद्यार्थी अपनी जिम्मेदारी का पूरी तरह से पालन करते हैं वे जीवन में अवश्य सफल होते हैं।
महामहिम ने आर्य समाज के नियम का जिक्र करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी उन्नति में संतुष्ट नहीं रहना चाहिए परन्तु सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए। इस प्रकार के व्यक्ति समाज में सदैव परोपकारी, मानवता और भाइचारे का संदेश देते हैं। आचार्यश्री ने अभ्यास व मेहनत के महत्त्व पर बल देते हुए कहा कि उन्होंने प्राकृतिक खेती के माध्यम से गुजरात में 9 लाख किसानों को जहरमुक्त खेती से जोड़ा है। गुरुकुल की गोशाला का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 1982 में मात्र 3 देशी गायों से शुरु की गई यह गोशाला आज पूरे देशभर में प्रसिद्ध है और वर्तमान में 55 लीटर तक दूध देने वाली गाय यहां विद्यमान है। उन्होंने कहा कि अपने दृढ़ निश्चय और कठोर परिश्रम के दम पर ही पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने संसार में एक अलग पहचान बनाई। डाॅ. कलाम ने अखबार और नरेद्र मोदी जी ने चाय बेचकर अपनी मेहनत के बल पर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
आचार्यश्री ने अध्यापक वर्ग व संरक्षक मंडल से भी अपनी जिम्मेदारी का भली-भांति निवर्हन करने का आह्वान किया क्योंकि बच्चे अपने अध्यापकों के आचरण से ही सीखते हैं, इसलिए एक अध्यापक को हमेशा अपने जीवन में सत्य का आचरण और अनुशासन का पालन करना चाहिए। अन्त में गुरुकुल में प्रविष्ट नये ब्रह्मचारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जीवन में हमेशा बड़ा सोचें, क्योंकि छोटी सोच इंसान को कभी महान नहीं बना सकती। अपने लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित करके उन्हें प्राप्त करें। नई जिम्मेदारी प्राप्त करने वाले छात्रों को उन्होंने अपने कत्र्तव्य के प्रति जागरूक रहने और हमेशा अनुशासन, संस्कारों का पालन करने की सीख दी। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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