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रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग में पंचायत सदस्यों ने बीजेपी पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इन सदस्यों के साथ अन्य 10 और सदस्यों ने डीएम से मुलाकात की और जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास पत्र सौंपकर मामले में त्वरित कार्यवाही की मांग की।
14 असंतुष्ट सदस्यों ने डीएम मयूर दीक्षित से उनके कैंप कार्यालय में मुलाकात की और जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सौंपा। इन सदस्यों में चार बीजेपी सदस्य भी शामिल हैं। इनमें दो बीजेपी से अधिकृत किए गए थे जबकि दो जिला संगठन में महत्वपूर्ण पदों में विराजमान हैं। जिला पंचायत सदस्य सविता भंडारी सारी से सदस्य हैं और बीजेपी संगठन में जिला उपाध्यक्ष के पद पर हैं। जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट परकंडी से सदस्य हैं और महिला मोर्चा में जिला मंत्री के पद पर हैं। इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य सतेरा वार्ड से भूपेंद्र लाल व जिला पंचायत सदस्य खलियाण वार्ड से मंजू सेमवाल बीजेपी अधिकृत प्रत्याशी रहीं।
वहीं, जिला पंचायत उपाध्यक्ष एवं सदस्य भीरी सुमंत तिवाड़ी, त्रियुगीनारायण से जिला पंचायत सदस्य बबीता देवी, गुप्तकाशी से गणेश तिवारी, कालीमठ से विनोद राणा, स्यूर से रेखा देवी, खलियाण से कुसुम देवी, सुमाड़ी से ज्योति देवी, कंडारा से सुमन सिंह, सिल्ला से बागणगांव कुलदीप सिंह, खांकरा से नरेन्द्र सिंह बिष्ट ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया है। इन्होंने डीएम को सौंपे प्रस्ताव में कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष अपनी मनमानी कर रही हैं. बिना सदस्यों को विश्वास में लिए कार्य किए जा रहे हैं. बोर्ड व सदन में बताए बिना चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई। अध्यक्ष की ओर से यात्रा व्यवस्था में घोड़े-खच्चरों से गद्दी के कार्य को लेकर सहमति नहीं बनाई गई।
वहीं अभ जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने कहा कि सदस्यों ने कभी इस मामले को लेकर उनसे कोई बात नहीं की और ना ही बोर्ड बैठकों में नाराजगी जाहिर की। उन्हें बिना बताए ही डीएम को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा गया। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत सदस्यों की जो भी नाराजगी होगी, वह दूर कर दी जाएगी।
बीजेपी सरकार में यह दूसरी बार है जब जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सौंपा गया है। इससे पहले खण्डूड़ी सरकार में बीजेपी के तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चर्चाएं गर्म थीं और 14 सदस्य अध्यक्ष की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे थे। उस समय चंडी भट्ट ने सूझबूझ का परिचय देते हुए सदस्यों को मनाने में सफल रहे और उनका कार्यकाल पूरे पांच साल चला।