बाढ़ के पानी के कारण जिला मुख्यालय से सटे बसंतपुर गांव के सैकड़ों बच्चे स्कूल जाने से रह जाते हैं वंचित
- बसंतपुर गांव के सैकड़ों परिवार हर साल बाढ़ की पानी को लेकर उठाते हैं परेशानी, बाढ़ को लेकर नहीं है मास्टर प्लान
- जिला प्रशासन समेत जनप्रतिनिधि को भी बाढ़ की मुकम्मल व्यवस्था के लिए कई बार दे चुके हैं आवेदन
- जिला प्रशासन की ओर से गांव के लोगों के लिए नहीं की गई है कोई व्यवस्था, खाना पर भी हो जाता है आफत
फोटो:-बाढ़ का पानी कम होने बाद स्कूल जाते बच्चें
हर एक माता-पिता का यह सपना होता है कि अपने बच्चे को उच्च शिक्षा दें,और उन्हें पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाएं। वही अररिया जिला मुख्यालय से सटे बसंतपुर पंचायत हर साल बाढ़ का पानी का दंश झेलते हैं। बाढ़ के समय में त्रिसुलिया घाट बसंतपुर सरस्वती मंदिर टोला के सैकड़ों परिवार के बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। जबकि त्रिसुलिया बसंतपुर के सभी बच्चे जिला मुख्यालय के सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए सभी बच्चे आते हैं। त्रिसुलिया घाट सरस्वती मंदिर टोला के बच्चे के माता-पिता के सपना बाढ़ के पानी को लेकर चकनाचूर होता दिख रहा है। गांव के लोगों ने जिला प्रशासन समेत जनप्रतिनिधि को भी प्रत्येक साल आवेदन देकर बाढ़ की पानी गांव में ना घुसे इसको लेकर ठोस पहल करने को लेकर आवेदन भी दे चुके हैं।बताया जाता है कि बरसात के दिनों में परमान नदी का जलस्तर काभी बढ़ जाने के बाद त्रिसुलिया घाट बसंतपुर सरस्वती मंदिर टोला के बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जाता है।शहर के पंचकौड़ी चौक से रामपुर जानेवाली मुख्य मार्ग के बीच लगभग मात्र 250 फीट सड़क नहीं होने के कारण जल स्तर काफी बढ़ जाती है व पानी बहाव का रफ्तार काफी तेज हो जाता है।इसको लेकर बसंतपुर सरस्वती मंदिर टोला का आवागमन मुख्य मार्ग से संपर्क टूट जाता है। इस कारण गांव के सैकड़ों गरीब मजदूरों के बच्चें शहर के राजकीय कन्या मध्य विद्यालय,घोड़ा स्टैंड चांदनी चौक स्थित सरकारी स्कूल में पढ़ने नहीं जा पाते है।
जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि को भी दे चुके हैं आवेदन
गांव की सरस्वती मंदिर के पुजारी व समाजसेवी अरुण आनंद ने बताया कि हर साल बसंतपुर पंचायत के सरस्वती मंदिर टोला गांव में बाढ़ का पानी आ जाता है। जिस कारण जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह से टूट जाता है। इस स्थिति में गांव के सैकड़ों परिवार के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। जबकि परिवार के लोग खाने के लिए भी मोहताज हो जाते हैं। बाढ़ का पानी गांव में ना घुसे इसके लेकर प्रत्येक वर्ग जिला व जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि को भी कई बार आवेदन दे चुके हैं। इसके बावजूद भी जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि की तरफ से कोई ठोस पहल नहीं की गई है। इससे बच्चों का भविष्य अंधकार में ज्यादा दिख रहा है।
सड़क की मांग को लेकर गांव के लोग करेंगे वोट बहिष्कार
बताया जाता है कि बसंतपुर सरस्वती मंदिर टोला के अधिकांश लोग दैनिक मजदूर पर निर्भर हैं।दैनिक मजदूर करने के बावजूद भी अपने बच्चे को उचित शिक्षा देना चाह रहे हैं,लेकिन बाढ़ का पानी गांव के सभी माता-पिता को के सपना अंधकार में दिख रहा है। इस कारण गांव के सभी लोगों ने सड़क नहीं तो वोट नहीं को लेकर इस वर्ष वोट बहिष्कार कर सकते हैं। अरुण आनंद ने बताया कि प्रत्येक वर्ष जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि से यह आश्वासन मिलता है कि बहुत जल्द ही सड़क बन जाएगा। जिससे गांव के सभी मजदूर लोग मजदूरी करने शहर जा सकेंगे व उनकी बच्चे सुरक्षित और पर स्कूल भी जा सकेंगे। लेकिन जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि की ओर से कोई ठोस पहल अब तक नहीं की गई है। जिस कारण इस वर्ष गांव के सभी लोगों ने एकजुट होकर वोट बहिष्कार करेंगे।
गांव के सभी बच्चों का भविष्य हो रहा है अंधकार
बताया जाता है कि बसंतपुर त्रिसुलिया घाट सरस्वती मंदिर टोला के सैकड़ों परिवार के बच्चे का भविष्य अंधकार में जा रहा है। जबकि सभी वर्ग के लोगों के बच्चे सरकारी स्कूल में जाकर पड़े इसके लिए सरकार काफी गंभीर दिख रहा है। इसके बावजूद भी बसंतपुर सरस्वती मंदिर टोला में बाढ़ के समय में कम से कम नाव की व्यवस्था भी कर दी जाए।जिससे कि पानी से निकलकर मुख्य सड़क तक जा सके और सभी बच्चे अपने अपने स्कूल जाकर शिक्षा प्राप्त कर सके। सड़क व नाव नहीं रहने के कारण बाढ़ के समय में कई महीनों तक स्कूल से बच्चे वंचित रह जाते हैं।