अयोध्या : नदी के घाट पर यदि सियासी लोग बस जाएं, तो प्यासे होठ एक एक बूंद पानी को तरस जाएं

अयोध्या:————-
नदी के घाट पर यदि सियासी लोग बस जाएं, तो प्यासे होठ एक एक बूंद पानी को तरस जाएं।

अयोध्या से ब्यूरो चीफ मनोज तिवारी की रिपोर्ट

*कबि अनुपम जी की स्मृति में प्रथम पुण्यतिथि पर अनुपम महोत्सव का हुआ आयोजन।
सद्भावना सेवा संस्थान द्वारा प्रख्यात कवि एव समाजसेवी स्वर्गीय पी बी अनुपम की प्रथम पुण्य स्मृति के अवसर पर अनुपमोत्सव 2022 का आयोजन बीकापुर तहसील क्षेत्र केअनुपम विद्या मंदिर तोरो दराबगंज में सरस्वती पूजन स्वर्गीय पी बी अनुपम के पुण्य स्मरण के साथ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य रविशंकर सिंह कुलपति डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय एवं विशिष्ट अतिथि डाक्टर ए पी राव, निदेशक प्रसार, न दे कृषि विश्व विद्यालय थे। जबकि नवनिर्वाचित विधायक अमित सिंह चौहान का नागरिक अभिनंदन किया गया। उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए प्रोफेसर रविशंकर सिंह ने कहा की इस संक्रमण कालीन दौर में पिछड़े क्षेत्रों में इस तरह के शिक्षाप्रद कार्यक्रम न केवल स्वस्थ मनोरंजन बल्कि समाज में जागरूकता और विकास के लिए आवश्यक है। बल्कि किसानों के लिए अपनी खेती को सम्ममुन्नत बनाने का अनुपम अवसर होता है। प्रोफेसर राव ने अपने संबोधन में कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रसंशा की एव अनुपम जी के इस अभिनव प्रयास को भविष्य में अंगीकृत करने की घोषणा की। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन एवं किसान गोष्ठी में जाने माने शायर जमुना प्रसाद उपाध्याय , अशोक टाटमबरी, अभिमन्यु शुक्ला तरंग, वेद प्रकाश प्रचंड, अर्चना द्विवेदी, ए भानु प्रताप सिंह भयंकर द्वारा काव्य पाठ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉक्टर श्रवण कुमार पांडेय वाराणसी ने मां सरस्वती की वंदना गीत जयति जयति जय मातु शारदे से किया। तत्पश्चात श्रृंगार रस की बरसात करते हुए अर्चना जी ने सुरमई गीत गजलों को सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया। प्रचंड ने अपनी रचना सुनाकर लोगों के दिलों में राष्ट्रवाद की अलख जगा दी जबकि ध्रुव कुमार ने सरदार पटेल पर सुंदर नज़्म सुनाया । अभिमन्यु शुक्ला तरंग ने बीर रस की अविरल वर्षा से श्रोता गण को रसशिक्त करते हुए अपने मुक्तकों से लोगों में जोश भर दिया। आपकी रचना ” ओज यदि रोज नही सुनते चौहान, बोलो गोरी पर फिर बाण कैसे चलते। ओज न सुनाती यदि जीजाबाई शिवा को, मुगलों के बीच हुंकार कैसे भरते। ओज ही तो सुनते थे देश के क्रांतिकारी, फांसी पर चढ़ गए हंसते हंसते, ओज पत्र लिखते नही विट्ठल यदि राणा को, अपनी तलवार पर वो धार कैसे धरते” को श्रोताओं ने खूब सराहा। कवि जमुना उपाध्याय की रचनाओं को खूब सराहा गया। उन्होंने सुनाया “नदी के घाट पर यदि सियासी लोग बस जाएं, तो प्यासे होठ एक एक बूंद पानी को तरस जाएं। एव आशु कवि टाटंबरी ने कवि गोष्ठी का कवितामय संचालन किया। किसानों को संबोधित करते हुए डॉक्टर शशिकांत यादव वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक के वी के मसौधा एव जे डी वर्मा ने कृषि की आधुनिक तकनीकों द्वारा कम लागत में अधिक लाभ पाने की विधियों का विस्तृत वर्णन किया। कार्यक्रम का संचालन एव प्रबंधन डॉक्टर श्रवण कुमार पांडेय ने किया।कार्यक्रम में पत्रकार अंबिका मिश्र, समाजसेवी मानस तिवारी एव कवि अभिमन्यु शुक्ला तरंग को अनुपम चेतना सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में आयोजक पंडित ऋषि पांडेय ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में राकेश पांडेय, राम अनुज तिवारी, मानस तिवारी, पुष्पा, रमाकांत मिश्र एवं राहुल सन्यासी राजन पांडे सहित तमाम लोग शामिल रहे।

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