पुर्णिया एम एन बादल
एक मामला सामने आया है जिसमें मोहल्ले के लोगों ने ही अपने रास्ते का जिम्मा उठाया और परेशान होकर मिट्टी गिराने लगे और हाथों में कुदाल थाम कर रास्ते को बनाने में लग गए। पूर्णिया वार्ड नंबर 24 का हाल वहां के स्थानीय लोगों से बात करने पर ही पता चल जाएगा। वार्ड नंबर 24 के एक गली की स्थिति तो ऐसी है जहां कई वर्षों से हर बारिश में पानी कई फीट तक आ जाता है और लोग घरों में कैद हो जाते हैं ।ना पैदल आ जा सकते हैं ना बाइक और ना ही फोर व्हीलर उस रास्ते में जा सकता है। उस रास्ते से जाना उस वक्त दूभर हो जाता है जब बारिश हो रही हो।
स्थानीय लोगों की माने तो कई सालों से जब जब बारिश आती है तो हम लोग यहां के वार्ड पार्षद आशा सिन्हा के पति को बार-बार फोन करते हैं और उन्हें बुलाते हैं ।परंतु न तो वह इस रास्ते में आते हैं और ना ही यहां की सुविधा के लिए कुछ सोचने का प्रयास करते हैं। मोहल्ले के कई लोगों ने मिलकर वार्ड पार्षद आशा सिन्हा या उनके पति जो आशा सिन्हा के कामो की देख रेख करते हैं और उन्ही के हिसाब से आशा सिन्हा का हर कार्य होता भी है ।परंतु यह कार्य नहीं हो सका । नर्क की स्थिति इस रास्ते में हो चुकी है। कई बार इस रास्ते में एक्सीडेंट हो गया है। कई बाइक और साइकिल वाले गिर चुके हैं। कई महिलाओं के इधर-उधर के गड्ढे में पैर पड़ने से चोटें आई हैं । सारी बातों की जानकारी मोहल्ले के लोगों ने बार-बार वार्ड नंबर 24 के वार्ड पार्षद को दिया लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। आखिर में थक हार कर जब अब फिर पुनः मानसून का आगमन हो गया है और लोगों का घर व रास्ता डूबने की स्थिति में है तब मोहल्ले के स्थानीय लोगों ने मिलकर कई ट्रैक्टरों से मिट्टी और बालू गिरवाया। ये सभी कुदाल लेकर खुद से रास्ते बनाने में लग गए। उन लोगों ने कहा कि जब वह वार्ड पार्षद फेल हो गया और उसकी स्थिति कार्य करने योग्य नहीं है तो हम लोगों को लगा कि वह बहुत ही मजबूर और बेबस वार्ड पार्षद है उससे कुछ नहीं हो सकता ।उसे कहना बेकार है ।तब हम लोगों ने मिलकर इस कार्य को अंजाम दिया। वार्ड पार्षद आशा सिन्हा हो या उनके पति महाशय उन्हें न ही इस रास्ते में आना है ना किन्ही की बात सुननी है।खास कर किसी का फोन भी नही उठाना है, अगर फोन उठ भी गया तो समस्या का समाधान उनके पास नहीं है । लोगों ने कहा कि आखिर हम ऐसे वार्ड पार्षद को वोट देकर चुनते तो हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि वह हमारे लिए कुछ कर नहीं सकता। हम लोगों के पास यही विकल्प था इसलिए हम लोगों ने ही अपने आपको अपने विकास का सिपाही और समस्याओं के निदान का अधिकारी व मजदूर बन हम ही समाज के लोगों ने खुद से अपना काम कर लिया।मुहल्ले के जिन लोगों ने इस कार्य को अंजाम दिया उसमे मुख्य हैं —
पवन कुमार साह,योगानंद सिंह
चंद्रमणि सिंह,रंजन कुणाल,
शिव कुमार साह,केदार चौधरी
सुशांत सिंह, दिलीप चौधरी
संतोष चौधरी, नरेंद्र झा
कैलाश साह,अवध किशोर चौधरी इत्यादि।