कन्नौज: सही समय पर इलाज शुरू हुआ तो फाइलेरिया नहीं बना अधिक दर्दनाक 

सही समय पर इलाज शुरू हुआ तो फाइलेरिया नहीं बना अधिक दर्दनाक 

फाइलेरिया से बचने के लिए साल में एक बार दवा जरुर खाएं: जिला मलेरिया अधिकारी

जिले में 622 फाइलेरिया रोगियों का चल रहा इलाज 

✍️ दिव्या बाजपेई

कन्नौज। उमर्दा ब्लाक के ग्राम अगौस निवासी सुभाष चन्द्र मिश्रा के बाएं पैर में 10 साल से फाइलेरिया है। राजस्व कर्मचारी होने के कारण इधर-उधर आना जाना बना रहता था। अचानक पैर में पैर में सूजन आने लगी। इससे काम भी प्रभावित होने लगा। कुछ लोग के कहने पर बाबा, हकीम और निजी अस्पताल में दिखाया। कोई आराम नहीं मिला। इस बीच पैर की सूजन बढ़ गई। सुभाष ने बताया कि जिला अस्पताल में जांच कराई तो पता चला कि फाइलेरिया ग्रस्त हूं। इसके बाद से निरंतर दवा खा रहा हूं। इस दवा से दर्द एवं सूजन में काफी आराम मिला है। लेकिन यह पूरी तरह से खत्म होने वाला नहीं है। मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि हाथी पांव यानि फाइलेरिया एक बार होने के बाद इसका इलाज संभव नहीं है। सुभाष चन्द्र सभी से अपील करते हैं कि फाइलेरिया न हो इसके लिए एक ही उपाय है कि जब भी सरकार की तरफ से फाइलेरिया रोधी अभियान चलाया जाए उस वक्त दवा का सेवन जरूर करें। इससे कभी भी फाइलेरिया नहीं होगा। मैं यह कभी भी नहीं चाहता हूं। कि हाथी पांव की वजह से जो परेशानी मुझे उठानी पर रही है वो परेशानी किसी और को न हो। जिला मलेरिया अधिकारी डा.हिलाल अहमद खान बताते है कि फाइलेरिया रोग संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। ये बीमारी धीरे-धीरे शरीर में पनपती है। मच्छरों के द्वारा माइक्रो फाइलेरिया व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं और यहीं से बीमारी की शुरुआत होती है। प्रारंभिक अवस्था में इस रोग के सामान्य लक्षण नजर आते हैं। जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। सही से इलाज न होने पर इसके गंभीर लक्षण दिखाई देने लगते है।  उन्होंने बताया कि यदि किसी को इस बीमार के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं।  विभाग के पास इसका नि: शुल्क उपचार उपलब्ध है। बताया कि जनपद में अभी 622 फाइलेरिया रोग से ग्रसित लोगों का इलाज चल रहा है। जिसमें 353 मरीज हाथीपांव व 269 मरीज हाइड्रोसील से ग्रसित है। इसके साथ ही लगभग 400 मरीजों को फाइलेरिया किट भी दी जा चुकी है। फाइलेरिया रोग के मुख्य लक्षण व बचाव । फाइलेरिया रोग के मुख्य लक्षण बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, उल्टी आना, चक्कर आना, चकत्ते एवं खुजली का होना आदि हैं। इन लक्षणों के होने पर तुरंत अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में संपर्क करें। साथ ही इस बीमारी से बचने के लिए घरों के आसपास गंदगी व कूड़ा इकट्ठा न होने दें। नालियों और गड्ढों में पानी जमा न होने दें। मच्छरों से बचने के सभी उपाय करें।

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