देश के विकास में कला-संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान, कला-संस्कृति के विकास के लिये जीकेसी प्रतिबद्ध : राजीव रंजन प्रसाद


ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस और श्रीदात्री क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड की पेशकश कथक : प्राचीन और समकालीन संदर्भ
ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस और श्रीदात्री क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड की प्रस्तुति कथक नृत्य : कल, आज और कल
कला-संस्कृति के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव के उद्देश्य को लेकर प्रयासरत है पंखुड़ी श्रीवास्तव
पटना, 13 जून ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला-संस्कति प्रकोष्ठ के सौजन्य से श्रीदात्री क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा “जागरूकता अभियान : कला एवं संस्कृति” के प्रथम सत्र का आयोजन किया गया।
जीकेसी के ‘जागरूकता अभियान : कला एवं संस्कृति’ में मुख्य अतिथि के तौर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने शिरकत की।सत्र का संचालन श्री सौरभ श्रीवास्तव, ग्लोबल महासचिव, डिजिटल एवं टेक्नोलॉजी प्रकोष्ठ, ने किया।
आज के सत्र का विषय “कथक : प्राचीन और समकालीन संदर्भ” था।प्रारंभिक सत्र को संबोधित करते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि देश के विकास में कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और वर्तमान समय में कला और संस्कृति के क्षेत्र में असीम संभावनाएं उपलब्ध हैं। श्रीदात्री क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड संस्था की यह पहल अत्यंत सराहनीय है। इस पहल के लिए पंखुड़ी श्रीवास्तव और उनकी संस्था को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
इस सत्र को सुश्री पंखुड़ी श्रीवास्तव ने संबोधित किया जो स्वयं एक प्रतिष्ठित युवा कथक नृत्यांगना हैं, साथ ही साथ कला संस्कृति प्रकोष्ठ, जीकेसी की राष्ट्रीय सचिव एवं श्रीदात्री क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापिका हैं। आज के सत्र में उन्होंने कथक नृत्य की उत्पत्ति और विकास के विषयवस्तु पर प्रकाश डाला और वर्तमान संदर्भ में नृत्य विधा के आधुनिक स्वरूप की महत्ता को भी साझा किया। पंखुड़ी श्रीवास्तव ने कहा कि उनकी संस्था श्रीदात्री क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड, कला और संस्कृति के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव के उद्देश्य को लेकर प्रयासरत हैं। भविष्य में इस जागरूकता अभियान से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़े और इस उद्देश्य को पूरा करने का संकल्प करें, यह हमारी कामना है। आगामी सत्र की घोषणा शीघ्र हीं की जाएगी जो कला और संस्कृति के विभिन्न आयाम से संबंधित होगी।
श्री देव कुमार लाल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, कला संस्कृति प्रकोष्ठ,जीकेसी) ने कहा कि भारतीय संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाना हम सब की ज़िम्मेदारी है। भविष्य में ऐसे शैक्षणिक सत्र के आयोजन से समाज को सुदृढ़ सांस्कृतिक आयाम मिलेगा। इस प्रारंभ के लिए शुभकानाएं एवं बधाई। ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए कला संस्कृति प्रकोष्ठ, जीकेसी सदैव योगदान के लिए तत्पर रहेगी।

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