देश के जन-जागरण में हिंदी पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान : डॉ. अशोक कुमार

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

पत्रकारिता व भारत को जानने के लिए पत्रकारिता के गौरवशाली इतिहास को जानना जरूरी : अशोक कुमार।
डिजिटल माध्यमों के प्रसार से हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओं में डिजिटल कंटेंट की भारी मांग, खुद को तैयार करें विद्यार्थी।
जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष व्याख्यान आयोजित।

कुरुक्षेत्र, 30 मई : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार के विभागाध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अशोक कुमार ने कहा कि भारत देश के जन जागरण व करोड़ों लोगों के जीवन को बदलने में हिंदी पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है। हिंदी पत्रकारिता की ताकत है कि आज भारत के लोग पहले से अधिक जागरूक, सशक्त एवं प्रगतिशील है। पत्रकारिता ने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा कर लोगों को संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की है व उसने अपने कंटेंट से लोगों के जीवन में बड़े बदलाव का एक कारण बनी है। वे गुरूवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मीडिया एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित एक विशेष व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि 30 मई 1826 को पंडित जुगल किशोर के संपादकीय में हिंदी का पहला समाचार पत्र प्रकाशित हुआ था इसलिए 30 मई को देश में हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि हिंदी के पहले अखबार की शुरूआत पश्चिम बंगाल से हुई थी जहां पर उस समय में हिंदी को पढ़ने वाले की संख्या बहुत सीमित है। भारत विविधताओं भरा देश है व हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओं की पत्रकारिता इसकी सबसे बड़ी ताकत रही है। आज भी देश में करोड़ों लोग हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओं में ही कंटेंट को पढ़ते, देखते व सुनते हैं। उन्होंने बताया कि आजादी से पूर्व देश में हिंदी पत्रकारिता व क्षेत्रीय भाषाओं की पत्रकारिता ने देश के स्वाधीनता आंदोलन में महत्वूपर्ण भूमिका निभाई। भारतीय समाज को राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से जागरूक कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने में उस समय कें पत्रकारों आजादी के आंदोलन के लिए कलम चलाई व लोगों को अंग्रेज के खिलाफ खड़ा किया। आजादी के बाद आधुनिक भारत के विकास में भी हिंदी पत्रकारिता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज हिंदी समाचार पत्र पत्रिकाओं की कंटेंट की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वह कई मायनो में अंग्रेजी पत्रकारिता से भी आगे है। हिंदी पत्रकारिता एक भारतीय के जीवन की रोजमर्रा की जरूरतों, चुनौतियों, सफलताओं, असफलताओं व संघर्षों को रिपोर्ट करती है यही उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
अपनी पहुंच, विस्तार व तकनीक के बल पर वह जन जन को सूचित व शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। आज डिजिटल कंटेंट की सबसे अधिक मांग हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओं में है। इसलिए पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए आज हिंदी पत्रकारिता में आपार संभावनाएं हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आहवान किया कि वे नए कौशल सीखें व एक कुशल मीडिया कर्मी बनने के लिए पत्रकारिता के गौरवशाली इतिहास को भी जरूर पढ़ें। इस मौके पर उन्होंने हिंदी पत्रकारिता की इस पताका को बढ़ाने वाले सभी संपादकों एवं पत्रकारों का आभार प्रकट किया।
उन्होंने यह मंच उपलब्ध करवाने के लिए संस्थान की निदेशक प्रोफेसर बिंदू शर्मा का आभार प्रकट किया। इस मौके पर विभाग के शिक्षक डॉ. रोशन लाल ने उनका स्वागत किया व कंवरदीप शर्मा ने उनका धन्यवाद किया। इस मौके पर विभाग के अन्य शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद थे।

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