जयराम विद्यापीठ में विश्व कल्याण के लिए नवरात्रों में चल रहा है दुर्गा पाठ तथा महामृत्युंजय मंत्र जाप अनुष्ठान।
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अन्य पूजा-आराधना में भले विधि व नियमों में असावधानी हो, लेकिन नवरात्रों में दर्गा पाठ अनुष्ठान में पूर्ण सावधानी आवश्यक : आचार्य लेखवार।
दुर्गा पाठ तथा महामृत्युंजय मंत्र जाप अनुष्ठान में नरवाना, करनाल, कैथल व सोनीपत के यजमान हुए शामिल।
कुरुक्षेत्र, 15 अप्रैल :- ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में चैत्र नवरात्रों के अवसर पर देशभर में फैली जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन तथा प्रेरणा से विश्व कल्याण एवं कोरोना महामारी से मुक्ति की कामना से दुर्गा पाठ तथा महामृत्युंजय मंत्र जाप अनुष्ठान चल रहा है। अनुष्ठान के तीसरे दिन भी मां भगवती के चंद्रघंटा स्वरूप का ध्यान करते हुए महामृत्युंजय मंत्र जाप के साथ यज्ञ में आहुतियां डाली गई। नवरात्र अनुष्ठान करवा रहे आचार्य राजेश लेखवार शास्त्री ने बताया कि किसी अन्य देवी-देवताओं की पूजा-आराधना में भले ही यजमान व ब्राह्मण विधि व नियमों पर अधिक ध्यान न देते हों, लेकिन यदि आप नवरात्रों में दुर्गा पाठ एवं महामृत्युंजय जाप अनुष्ठान कर रहे हैं, तो पूर्ण सावधानी बरतना व विधि का पूर्णरूपेण पालन करना जरूरी है। नवरात्रों के तीसरे दिन विद्यापीठ के सेवक नरवाना, करनाल, कैथल, जींद तथा सोनीपत से परिवार के सदस्यों के साथ यजमान के तौर पहुंचे और पूजा अर्चना सम्पन्न करवाई। जयराम विद्यापीठ में परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन अनुसार विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा निरंतर जप एवं पाठ किया जा रहा है। आचार्य लेखवार ने बताया प्राचीन काल से दुर्गा पाठ मूल मंत्रों के साथ ही किया जाता रहा है। जो भी साधक देवी पाठ करते हैं, उन्हें पाठ को बहुत ही सावधानीपूर्वक सभी जरूरी नियमों व विधि का पालन करते हुए ही करना चाहिए क्योंकि यदि इस पाठ को सही विधि से व बिल्कुल सही तरीके से किया जाए, तो मनचाही इच्छा भी नवरात्रों के नौ दिनों में ही जरूर पूरी हो जाती है। जयराम विद्यापीठ में प्रत्येक नवरात्रों की भांति दूर दूर से पूजन के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, एस एन गुप्ता, के के कौशिक, श्रवण गुप्ता, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक, यशपाल, मुनीश कुमार इत्यादि भी मौजूद थे।
जयराम विद्यापीठ में पूजन एवं आरती करते हुए यजमान एवं आचार्य राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री।