सर्पदंश के अधिकांश मामलों में दहशत से होती है पीड़ित की मौत

-जिले में सर्पदंश के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क
-एपीएचसी से लेकर सभी प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध हैं है जरूरी दवाएं
-सर्पदंश का शिकार होने पर झाड़फूक की जगह नजदीकी अस्पताल में पीड़ित का इलाज जरूरी

अररिया

जिले में सांपों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। बारिश व उमस भरी गर्मी के इन दिनों में बड़ी संख्या में लोग सर्पदंश के शिकार हो रहे हैं। भीषण गर्मी व बारिश व बाढ़ का पानी बिल में घुसने की वजह से सांप खेत-खलिहान ही नहीं लोगों के घरों में दस्तक देने लगे हैं। जहां वे छोटे उम्र के बच्चे, कामकाजी पुरूष व महिलाओं को आसान शिकार बना रहे हैं। बीते दो महीनों में जिले में सर्पदंश के लगभग 60 मामले सामने आये हैं। इसमें दो के मौत की सूचना है। आंकड़ें बताते हैं कि जिले में हर दिन औसतन सर्पदंश का एक मामला घटित हो रहा है। बढ़ते सर्पदंश के मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीरता बरत रहा है।

विष से ज्यादा दहशत से होती है लोगों की मौत :

सर्पदंश के अधिकांश मामलों में सांप के विष की जगह दहशत लोगों के मौत की वजह बनती है। सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह की मानें तो भारत में सांपों की लगभग 236 प्रजातियां पायी जाती है। इसमें ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते हैं। सांप की महज 13 प्रजातियां ही जहरीले हैं। इलाके में नाग, गेहूंमन व करैत की जहरीले सांप की प्रजातियां पायी जाती है। दहशत के अलावा झाड़फूक के चक्कर में पड़ कर लोगों की मौत होती है।

अप्रैल से अक्तूबर के बीच होता है सर्पदंश का अधिक खतरा

गर्मी का मौसम आते ही सांपों का आंतक बढ़ने लगता है। सर्पदंश अधिकांश मामले अप्रैल माह से अक्टूबर माह के बीच घटित होते हैं। बीते साल अप्रैल से जुलाई माह के बीच सर्पदंश के 173 मामले घटित हुए। वहीं इस साल अब तक सर्पदंश के 80 मामले घटित हो चुके हैं।

सभी चिकित्सा संस्थानों में है इलाज का इंतजाम

सिविल सर्जन ने बताया कि सर्पदंश के मामलों से निपटने के लिये विभाग पूरी तरह तैयार है। सभी पीएचसी, एपीएचसी व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर सर्पदंश के मामले में प्रयुक्त दवाओं का पर्याप्त भंडार पूर्व से उपलब्ध है। नियमित रूप से इसकी समीक्षा की जाती है। महत्वपूर्ण अस्पतालों में 200 एंटी वैनम दवा का बफर स्टॉक रखने का निर्देश है। सर्पदंश के मामलों में प्रयुक्त दवाएं जिले में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

झाड़फूक नहीं है सर्पदंश का इलाज :

सिविल सर्जन ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग सर्पदंश का शिकार होने पर झाड़फूक के चक्कर में पड़ जाते हैं। जो बिल्कुल गलत है। ऐसे मामले में तुरंत नजदीकी अस्पताल जाकर इलाज की जरूरत होती है। पीड़ित मरीजों सर्पदंश वाले जगह पर तत्काल 06 गुणा 08 इंच पर अलग-अलग बांध कर हल्का चीरा लगाने की सलाह उन्होंने दी। ताकि विष वाला रक्त बाहर निकलता रहे।

सर्पदंश मामले में रखें इन बातों का ख्याल
पीड़ित की घबराहट दूर करने में उसकी मदद करें
सांप काटने वाली जगह पर कोई आभूषण व जूते पहने हों तो उतार दें
जख्म को धूल कर पट्टी बांध दें, फौरन इलाज के लिये नजदीकी अस्पताल जायें
सर्पदंश की जगह काटना, चूसना व दबाने से परहेज करें

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

तेज धूप व उमस भरी गर्मी में लोग तेजी से हो रहे मौसमी बीमारियों के शिकार

Fri Jul 15 , 2022
ओपडी में इलाज के लिये पहुंच रहे ऐसे 40 फीसदी मरीज सावधानी व सतर्कता से मौसमी बीमारियों की चपेट में से बचाव संभव अररिया जिले में मानसून दस्तक दे चुका है। लेकिन लोग बारिश के लिये तरस रहे हैं। तेज धूप व उमस भरी गर्मी से लोग परेशान हैं। इससे […]

You May Like

Breaking News

advertisement